आपके फेसबुक पर जारी हुए पत्र से पार्टी में बवाल मचा हुआ है। आपने पत्र फेसबुक पर क्यों डाला?
पत्र मैंने नहीं डाला है। पत्र 10 जुलाई का लिखा हुआ है। मुझे यह पत्र फेसबुक पर डालना होता तो मैं तभी डाल देता।
तो क्या पत्र आपने नहीं लिखा?
पत्र मैंने ही लिखा है। लेकिन जो लोग मेरा फेसबुक हैंडल करते हैं उनसे वह पत्र फेसबुक पर भूलवश डल गया है या मेरे यहां से लीक हुआ है। लेकिन फिर भी अब अगर पत्र सार्वजनिक हो ही गया है तो मैं अपने लिखे शब्दों पर कायम हूं। मैं इसपर सार्वजनिक चर्चा नहीं चाहता।
आपने जब फेसबुक पर डाला नहीं तो लिखा क्यों?
पत्र में जो लिखा है मेरे मन की बात है। जो मेरी आत्मा ने कहा मैंने लिखा दिया। मैं इसमें लिखे एक-एक शब्द के साथ खड़ा हूं। मेरे मन की व्यथा है यह। मेरे मुंह में अपने शब्द न डालें। मेरे मन में जो था मैंने लिखा दिया।
आपने पत्र में लिखा कि ‘घोटालों को लेकर इन खबरों से पार्टी का सिर झुक गया है।’ क्या आप शीर्ष नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं?
नहीं ऐसा नहीं है। हमारा परम सौभाग्य है कि नरेंद्र मोदी हमारे प्रधानमंत्री हैं। उनकी किसी भी उपलब्धि से हमारा सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है लेकिन जब कहीं कोई छींटा पड़ता है तो पीड़ा होती है। हमारे अनेकों साथी कई मुद्दों पर जेल गए, लाठियां खाईं लेकिन अब हो रही कुछ बातों से ठेस पहुंची है।