उत्तराखंड के डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) कार्य़भार संभालने वाले वरिष्ठ आईपीएस अफसर अशोक कुमार ने आउटलुक के प्राथमिकताओं के सवाल पर कहा कि उऩकी पहली कोशिश होगी कि अपराधियों के दिलों में कानून का खौफ पैदा हो। कानून के राज में आम आदमी खुद को पूरी तरह से सुरक्षित महसूस करे। कोई भी पुलिस थाने तक जाने में न तो हिचके और न ही ये संकोच करे कि पता नहीं उसकी कोई सुनेगा या नहीं।
पुलिस की कार्य़शैली में किस तरह का सुधार करने के सवाल पर अशोक ने कहा कि शिकायतों का निस्तारण तेजी से हो। कई बार देखा गया है कि जिस पुलिस अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ लोग शिकायत करते हैं तो जांच उसी को दे दी जाती है। अब ये चलने वाला नहीं है। उऩकी कोशिश होगी होगी कि पुलिस के खिलाफ शिकायत करने वाले को न्याय मिल सके। इस मामले में किसी भी स्तर पर किसी भी तरह की लापरवाही को अब सहन नहीं किया जाएगा।
आज के दौर में कहा जा रहा है कि पुलिस खुद को सर्वशक्तिमान मान लेती है, इस पर अशोक ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि पुलिस के पास ट्रिपल पावर है। एक, वर्दी, दूसरा हथियार और तीसरा कानून की ताकत। मेरी इस बात को हकीकत में बदलूंगा कि इस ट्रिपल पावर का इस्तेमाल आम आदमी के हित में हो। अगर कोई इस ट्रिपल पावर का गलत इस्तेमाल करने की कोशिश करेगा तो उसका हश्र भी उत्तराखंड की जनता देखेगी।
उत्तराखंड में सीपीयू को खत्म करने की मांग पर डीजीपी ने कहा कि इस प्रयोग को फिलवक्त खत्म करने का कोई इरादा नहीं है। हां, ये जरूर है कि इस टीम के सदस्यों के आचरण पर गहरी नजर रखी जाएगी। अगर, कहीं कोई खामी मिली तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा। ये भी देखा जाएगा कि इस टीम में शामिल लोगों को समय-समय पर कैसे बदला जा सकता है।
विवेचना में देरी और अदालतों से अभियुक्तों के छूटने की संख्या ज्यादा हो रही है। इस सवाल पर नए डीजीपी ने कहा कि विवेचना में सभी तथ्य और सबूतों का समावेश समय पर हो, इस पर ध्यान दिया जाएगा। यह भी देखा जाएगा सबूतों के अभाव में कोई अभियुक्त संदेह का लाभ न ले सके। डीजीपी ने कहा कि यह भी देखा जाएगा कि अदालत से कोई अभियुक्त किन हालात में बरी हुआ या फिर संदेह का लाभ लेकर छूट गया। अगर किसी मामले में कोई खामी पाई गई तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
यहां बता दें कि 1989 बैच के आईपीएस अफसर अशोक कुमार ने आईआईटी दिल्ली से एम.टेक किया है। चयन होने के बाद ट्रेनी के रूप में पहली बार इलाहाबाद में एएसपी रहे। इसके बाद अलीगढ़ में एएसपी रहे। शाहजहांपुर, बागपत और रामपुर में एसपी रहने के साथ ही मथुरा और मैनपुरी में एसएसपी भी रहे।
उत्तराखंड की बात करें तो तराई में आतंकवाद के दौरान एएसपी नैनीताल रहे। इस दौरान उन्होंने कुख्यात खाड़कू हीरा सिंह को मार गिराया। उत्तराखंड के चमोली जिले में पहली बार एसपी बने। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान चमोली जिले में शांति रही। संतनगरी हरिद्वार में एसएसपी रहे। राज्य गठन के बाद उन्हें उत्तराखंड कैडर मिला। कुमाऊं के डीआईजी रहने के बाद में मुख्यालय में रहे। बीएसएफ में बतौर डीआईजी केंद्र की प्रतिनियुक्ति पर रहे। 2013 की केदारधाम आपदा के दौरान उनके नेतृत्व में बीएसएफ ने बेहतरीन काम किया। उन्हें 2014 में बीएसएफ की महाराणा प्रताप ट्राफी भी मिली। इससे पहले 2006 में पीएम अवार्ड और 2013 में पीपीएम अवार्ड भी मिला। यून मिशन कोसोवो में टीम लीडर के तौर पर काम किया और यूएन मैडल एंड बार का खिताब जीता।
आईपीएस अफसर अशोक की खेल और साहित्य में भी खासी रुचि है। खाकी में इंसान नाम की उनकी पुस्तक खासी चर्चित रही। इस पुस्तक को जीबी पंत अवार्ड भी मिला। उन्होंने चैलेंज इन इंटरनल सिक्युरटी ऑफ इंडिया, क्रेकिंग सिविल सर्विस दॉ ओपन नामक पुस्तकें भी लिखीं। बैडमिंटन के बेहतरीन खिलाड़ी अशोक ने 45 प्लस विश्व बैडमिंटन प्रतियोगिता कनाडा और टर्की में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया। एक सर्वे में उन्हें देश के श्रेष्ठ 25 आईपीएस अफसरों में भी चुना जा चुका है।