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मेरी ही जासूसी क्यों-अनिल विज

हरियाणा में कमल वाली सरकार आने के बाद से लेकर अभी तक कोई करिश्मा नहीं हुआ। वादों की जमीन बंजर है। लेकिन एक मंत्री ऐसे हैं जिनका अपने विभाग के काम को लेकर ऐसा जुनून है कि इतनी चर्चा सरकारी योजनाओं की नहीं होती जितनी उनके ट्वीट की हो जाती है। जब से इन्होंने पदभार संभाला है तब से छापे और बर्खास्तगियां आम बात है। वह कभी अस्पताल तो कभी सचिवालय की छत पर खुद चढक़र पानी की टंकी साफ करने लगते हैं। स्वास्थ्य विभाग में इनका ऐसा हौवा है कि हरियाणा में एक जुमला कहा जाने लगा है, ‘भाग नहीं तो अनिल विज आ जाएगा’। पांच दफा विधायक चुने जा चुके साफ-सुथरी छवि के विज ने न तो सरकारी मकान लिया, न टेलीफोन सुविधा। गलत निर्णयों में अपनी ही सरकार की ऐसी-तेसी करने से भी नहीं डरते।
मेरी ही जासूसी क्यों-अनिल विज

 

हरियाणा में मनोहर लाल खट्टïर की सरकार बहुत धीमी  है?

मुख्यमंत्री इंजन हैं, वह जहां जा रहे हैं, सभी वहीं जा रहे हैं। बाकी काम को लेकर मेरा अपना जुनून है।   

 

जासूसी को लेकर आपने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया? 

हम उस आदमी को 20 से ज्यादा दफा नोटिस कर चुके थे। मैंने अपने लोगों से कहा कि इस दफा वे मुझे खबर करें। पकड़े जाने पर उसका कहना था कि वह सीआईडी से है और देख रहा था कि कोई असामाजिक तत्व यहां न आ जाए। लेकिन मेरा कहना यह है कि ऐसा है तो मेरे ही कमरे पर नजर क्यों ? मेरी ही जासूसी क्यों? मुझे लगता है कि कोई अधिकारी मेरे खिलाफ मुख्यमंत्री के पास कुक्ड स्टोरी पहुंचा अपने नंबर बनवाना चाहता होगा। अधिकारियों को ऐसी आदत होती है। सरकारें बदल जाती हैं लेकिन अधिकारी तो वही रहते हैं।

 

प्रदेश में सरकारी योजना से ज्यादा चर्चा आपके ट्वीट की हो जाती है। वजह?

स्वाभाविक है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ को लेकर सरकार ने परिणीति चोपड़ा को ब्रांड अंबेसडर बनाया। रात 10 बजे मुझे दिल्ली से मीडिया के फोन आने लगे। मैंने कहा हमने तो परिणीति को ब्रांड अबेंसडर नहीं बनाया। मैंने इस बारे में ट्वीट भी किया। तो इस पर परिणीति चोपड़ा की खबर तो कम छपी, मेरे ट्वीट की चर्चा ज्यादा रही।  

 

आप वरिष्ठ हैं। सरकार में जो मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। मलाल रहता है क्या?

मैं पार्टी का वफादार सिपाही हूं। मैंने कभी किसी से कुछ मांगा नहीं। श्रद्धा तहत मंदिर-गुरुद्वारे में जाता जरूर हूं लेकिन मांगता भगवान से भी नहीं। आरएसएस में हमें सिखाया गया है कि डिजर्व, नॉट डिजायर। शायद मेरे साथ इसलिए भी ऐसा किया गया होगा कि मैं परिक्रमा नहीं करता, परिश्रम करता हूं। लेकिन हमें टीम में जहां खड़ा करोगे, हम वहीं से छक्का मारेंगे।  

 

आपकी वजह से हरियाणा में भाजपा अकेले सरकार बना पाई, कैसे राजी कर पाए सभी को?

हम जमीन पर काम करते हैं। नद्ब्रज जानते हैं। मैं जानता था कि इस दफा भाजपा अकेले लड़ेगी तो निश्चित तौर पर जीतेगी। हमें हजकां के कुलदीप बिश्नोई की जरूरत नहीं थी। मुश्किल हुई लेकिन मैं समझाने में कामयाब रहा कि हरियाणा में भाजपा अकेले चुनाव लड़े।

 

आपका आपके विभाग में इतना खौफ ञ्चयों है? ञ्चया खौफ से काम करवाया जा सकता है?

मैंने 1970 में भारतीय अखिल विद्यार्थी परिषद से राजनीति शुरू की थी। 40 साल हो गए। आज हमें व्यवस्था को दुरुस्त करने का मौका मिला है। व्यवस्था परिवर्तन नहीं कर पाए तो सब बेकार हो जाएगा। लोग राजनीतिक पार्टियां इसलिए ही बदलते हैं ताकि व्यवस्था बदल सकें। मैं क्या गलत करता हूं, डॉक्टर के गैरहाजिर होने पर उसे बर्खास्त कर देता हूं। छापे मारता हूं। किसी की नहीं सुनता। पानी की टंकियां खुद साफ करने लगता हूं। आपको पता है कि सचिवालय की पानी की टंकी में छिपकलियां और किलो के हिसाब से काई मिली है। वही पानी पंजाब-हरियाणा के मंत्री और अधिकारी पी रहे थे, उसके बाद पूरे हरियाणा में लोगों ने अपनी पानी की टंकियां साफ कीं। मैं यहां समय को धञ्चका देने नहीं आया हूं, कि 2019 तक वञ्चत काट लूं। काम करने आया हूं। याद रखें कि प्रशासन सचिवालयों के बंद कमरों से नहीं चलता है। मैं किसी अधिकारी को ऑफिस में बैठने की इजाजत नहीं देता। जाओ,  जाकर बाहर देखो और रिपोर्ट बनाओ। मैं उन रिपोर्टों पर कार्रवाई नहीं करता जो एसी कमरों में बैठकर बना दी जाती हैं।

                                   

नई खेल नीति में क्या है?

पुरानी सरकार मेडल लाने के बाद सुविधाएं देती थी लेकिन हमने खिलाड़ियों के मेडल लाने से पहले उन्हें ऐसी सुविधाएं देने के लिए नीति बनाई है जिसके चलते गरीब घरों के बच्चे प्रतियोगिता की तैयारी बेहतर कर सकेंगे। नौकरी मिलने के बाद खिलाड़ी खेलना बंद कर देते थे। अब उन्हें कम से कम तीन साल तो खेलना ही होगा। हम एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार करवा रहे हैं जिसके चलते मुझे मेरे कंप्यूटर पर पता लग जाएगा कि किस ग्राउंड में कितने खिलाड़ी कितने घंटे खेले। नौकरियों के लिए पोर्टल बन रहा है। अब किसी खिलाड़ी को नौकरी के लिए किसी मंत्री के दरवाजे पर जाने की जरूरत नहीं।

 

हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में दवाओं और डॉक्टरों की कमी है?

दवाओं की तो नहीं लेकिन उपकरणों की कमी है। डॉक्टरों के 761 पद भरे गए हैं। डब्ल्यूएचओ और एबेंसियों में काम कर रहे हरियाणा के डॉक्टरों को प्रदेश में लाया गया है। उपकरणों के लिए 21 जिलों के लिए 64 करोड़ रुपये जारी कर रहे हैं।

 

हरियाणा के स्कूलों में गीता पढ़ाया जाना सही है क्या?

गीता पढ़ाया जाना धार्मिक नहीं बल्कि ऐतिहासिक विषय है। बच्चों के इसके बारे में पता होना चाहिए।  

 

आपने बाबा रामदेव की पुत्रजीवक दवा वाले विवाद पर क्या कहेंगे?

आयुर्वेद में उस दवा को कहते ही पुत्रजीवक हैं। वो नाम बाबा रामदेव ने उसे नहीं दिया है। पंसारी की दुकान पर भी वह उसी नाम से मिलती है। हालांकि अभी हम 6500 गांवों में व्यायाम-योग शालाएं बनाने जा रहे हैं जिसके लिए 1,000 योद अध्यापक रखे जाएंगे। इसके अलावा मोरनी हिल्स में 52,000 एकड़ में देश का सबसे बड़ा हर्बल जंगल लगाया जा रहा है।  

 

 

 

 

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