राजधानी दिल्ली के एक अस्पताल में डिप्थीरिया से पिछले दो सप्ताह यानी 14 दिनों में 12 बच्चों की मौत हो गई। इनमें एक बच्ची दिल्ली के जीवन पार्क इलाके की रहने वाली थी जबकि 11 बच्चे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के थे। उत्तरी नगर निगम के महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में 6 से 19 सितंबर के बीच इन बच्चों की मौत हुई।
अस्पताल के अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीके गर्ग के अनुसार, इन बच्चों को डिप्थीरिया का टीका नहीं लगा था। जब इन्हें अस्पताल लाया गया तब तक संक्रमण काफी बढ़ चुका था। ऐसे में इन्हें बचाया नहीं जा सका। एक बच्ची की मौत एलएनजेपी अस्पताल ले जाने के बाद हुई। मृतकों की उम्र महज दो से 10 साल के बीच थी।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक सुनील कुमार गुप्ता के हवाले से एनडीएमसी ने जारी एक बयान में बताया कि डिप्थीरिया के मामले आम तौर पर केवल इस मौसम में सामने आते हैं। उन्होंने कहा, '6 से 9 सितंबर के बीच डिप्थीरिया के 85 मरीजों को भर्ती कराया गया (इनमें से 79 दिल्ली से बाहर के और छह दिल्ली के हैं) जिनमें 11 मरीजों को नहीं बचाया जा सका।'
उन्होंने बताया कि मरीज नौ साल तक की उम्र के थे। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में स्थित इस अस्पताल का कामकाज उत्तरी दिल्ली नगर निगम देखता है।
डिप्थीरिया एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण है, जो आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल जाता है। यह हमारे नाक और गले की श्लेष्मा झिल्ली (mucous membrane) को प्रभावित करती है।
इसके कारण बुखार, सर्दी-जुखाम, कमजोरी और गले में गहरे ग्रे रंग के पदार्थ की एक मोटी परत गले के अंदर जम जाती है। माना जाता है कि इस संक्रमण के चपेट में ज्यादातर 2 से लेकर 10 वर्ष तक की आयु वाले बच्चे आते हैं।