गूगल ने घोषणा की है कि वह दवा समेत ऐसे किसी भी उत्पाद, तकनीक या इलाज का विज्ञापन करने के लिए अपना मंच मुहैया नहीं कराएगा जिसकी चिकित्सीय सत्यतता प्रमाणित न होती हो। गूगल ने यह कदम अपनी नई स्वास्थ्य देखभाल और दवा नीति को ध्यान में रख कर उठाया है।
स्टेम सेल और जीन थेरेपी के विज्ञापनों की है भरमार
अप्रमाणित और प्रयोगात्मक चिकित्सा तकनीकों के ऑनलाइन विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद गूगल ने बताया है कि इस तरह की सामग्री में सबसे ज्यादा स्टेम सेल थेरेपी, सेलुलर (गैर-स्टेम) थेरेपी और जीन थेरेपी के विज्ञापन सबसे ज्यादा होते हैं। नई स्वास्थ्य नीति इस तरह के उपचार के लिए दवा बेचने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाएगी। इसके अलावा ऐसी किसी भी तकनीक के विज्ञापन को भी प्रतिबंधित करेगी, जिनका कोई मेडिकल या वैज्ञानिक आधार नहीं है।
नियम निगरानी दोनों जरूरी
गूगल के पॉलिसी एडवाइजर एड्रिएन बिडिंग्स ने कहा, “इसके लिए नियम और निगरानी दोनों जरूरी है। हम जानते हैं कि महत्वपूर्ण चिकित्सा खोज अक्सर अप्रमाणित विचारों के साथ शुरू होती हैं। इसलिए हम मानते हैं कि निगरानी और नियमों के अनुसार क्लिनिकल ट्रायल किसी भी महत्वपूर्ण चिकित्सा परीक्षण को साबित करने का सबसे विश्वसनीय तरीका है। कुछ सेलेब्रिटी भी अप्रतिबंधित, भ्रामक उपचार के बारे में बात करते हैं। अक्सर इन उपचारों से खतरनाक स्वास्थ्य परिणाम सामने आ सकते हैं और हमें लगता है कि हमारे प्लेटफार्म पर इनके लिए कोई जगह नहीं है।”
स्टेम सेल सोसाइटी ने कहा धन्यवाद
गूगल की नई नीति में ऐसे उपचार भी शामिल हैं जिनके बुनियादी वैज्ञानिक निष्कर्ष तो हैं, लेकिन निदान के उनके उपयोग को सही ठहराने के लिए पर्याप्त चिकित्सीय आधार नहीं है। इस कदम पर स्टेम सेल रिसर्च के लिए इंटरनेशनल सोसाइटी के अध्यक्ष दीपक श्रीवास्तव ने कहा, "बिना ठोस चिकित्सीय आधार के दवा का विज्ञापन करने वालों पर प्रतिबंध लगाने की गूगल की नई नीति बहुत अच्छी है। कुछ कंपनिया स्टेम सेल थेरेपी पर भी बिना जांच के चिकित्सा उत्पादों का विज्ञापन करती थीं। ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने का यह कदम स्वागत योग्य है।" गूगल ने कहा है कि उसके प्लेटफॉर्म पर चिकित्सीय परीक्षणों के लिए अनुसंधान की अनुमति जारी रहेगी ताकि चिकित्सकों को जनता के बीच अपने शोध निष्कर्षों को बढ़ावा देने की क्षमता विकसित हो।