आधुनिक दुनिया की चकाचौंध में हम अपनी दिनचर्या को बदलते जा रहे है। काम का दवाब और समय न होने की वजह से हम न तो अपने स्वास्थ पर ध्यान दे पाते है और ना ही हड्डियों पर। ऑस्टियोपोरोसिस (छिद्रपूर्ण हड्डी) एक ऐसी बीमारी है जिसमें हड्डियों का घनत्व और गुणवत्ता दोनों बिगड़ जाता है। दरअसल जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हड्डियां अधिक छिद्रपूर्ण और नाजुक हो जाती हैं। जिसके कारण फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
सही ढंग से बैठना जरूरी
असल में ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी बुजुर्ग खासकर महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है। एक अध्ययन के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं को हड्डी के नुकसान का खतरा चार गुना अधिक होता है। हड्डी रोग और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के निदेशक डा हरीश घट्टा बताते हैं कि है कि लगातार बैठने और नकारात्मक चीजों से हड्डियों पर खासा असर पड़ता है। अगर इनसे बचा जाए तो हड्डियों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।
निकाला जा सकता है कैल्शियम
इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि कैल्शियम जमा होता है और इसे निकाला भी जा सकता है। 30 साल की उम्र तक हड्डियों का बनना जारी रहता है। इसके बाद कैल्शियम जमा होना शुरू होता है। है। जैसे-जैसे हम उम्र के साथ बढ़ते हैं, हमारी हड्डी मौजूद द्रव्यमान को खोने लगती हैं और फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल में पर्यावरण, पोषण और जिस तरह से हम जीते है उसी का योगदान हड्डियों की संरचना में होता है।
हमारी हड्डियों को मजबूत होना चाहिए ताकि वे हमारा साथ दे सके। एक शोध के मुताबिक 50 साल या उससे ज्यादा उम्र के 55 फीसदी लोगों के लिए ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा ज्यादा रहता है। एक अनुमान के अनुसार, बु्र्जुर्ग दो महिलाओं और चार पुरुषों में एक को इस बीमारी से हड्डियां टूटने का खतरा बना रहता है।