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सरकारी कर्मचारियों की कैशलेस सुविधा पर लग सकता है ब्रेक, मोदी सरकार पर इलाज का करोड़ों बकाया

निजी अस्पतालों में केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) का लाभ उठाने वालो के लिए बुरी खबर है। हो...
सरकारी कर्मचारियों की कैशलेस सुविधा पर लग सकता है ब्रेक, मोदी सरकार पर इलाज का करोड़ों बकाया

निजी अस्पतालों में केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) का लाभ उठाने वालो के लिए बुरी खबर है। हो सकता है कि आने दिनों में निजी अस्पताल (सीजीएचएस) और भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के तहत कैशलेस सेवाओं का लाभ न दें। क्योंकि केंद्र सरकार ने बकाया राशि का अब तक भुगतान नहीं किया है। 

केंद्र ने नहीं किया है भुगतान

देश का स्वास्थ्य उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है। सरकार द्वारा लंबे समय से बकाया राशि का भुगतान न करने से अस्पतालों के सामने रोजमर्रा के खर्चों और काम जारी रखने का संकट खड़ा हो गया है। निजी असपतालों का यह भी कहना है कि विभिन्न प्रकार की मेडिकल सुविधाओं, जांचों के लिए तय दर 2014 से वही चल रही हैं, जबिक इस बीच अस्पतालों के खर्च कई गुना बढ़ गए हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव, आर.वी.असोकन का कहना है कि, “सीजीएचएस और अस्पतालों के बीच दरों और समझौतों को हर दो साल में संशोधित किया जाना चाहिए था, लेकिन सीजीएचएस ने एकतरफा बिना कोई कारण बताए इसे स्थगित कर दिया। विभिन्न संस्थानों द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि सीजीएचएस के तहत कई प्रक्रियाओं की दरें अस्पतालों द्वारा दी गई सुविधाओं की लागत को भी कवर नहीं करती हैं।”

निजी और सरकारी क्षेत्र साथ काम करें

आईएमए के अध्यक्ष शांतनु सेन का कहना है, “ओपीडी के 70 प्रतिशत और आईपीडी के 60 प्रतिशत रोगियों की देखभाल निजी अस्पतालों में होती है। वित्तीय संकट के कारण स्वास्थ्य सेवाओं के विघटन की संभावना राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य को और अधिक प्रभावित करने वाली है। इस तरह देखभाल में निजी क्षेत्र की ऐसी सेवाओं का प्रतिशत 85 से अधिक है।

सेन का कहना है कि अब समय आ गया है कि सरकार जमीनी वास्तविकताओं का तत्काल जायजा ले और निजी क्षेत्रों के साथ जुड़कर वास्तविक चिंताओं का आकलन करे और उद्योग को मंदी से बचाए। उनका कहना है कि हेल्थकेयर के पास सामाजिक दायित्व होने के साथ-साथ सबसे बड़ा नियोक्ता होने की संभावना है। इसलिए जरूरी है कि आयुष्मान भारत के माध्यम से सभी को स्वास्थ्य कवरेज देने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र साथ काम करें और स्थायी समाधान खोजें।

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