निपाह वायरस (Nipah Virus) का संक्रमण हाल ही में केरल और आसपास के इलाकों में फैला है। निपाह वायरस के इस संक्रमण के कारण अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। दूसरे इलाकों में भी इसके फैलने के आसार हैं। यह वायरस मुख्य रूप से प्रभावित चमगादड़ और सूअर के जरिए इंसानों में फैल रहा है।
निपाह वायरस क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संस्था, डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, निपाह वायरस एक प्रकार का नया वायरस है जो इंसानों और जानवरों में फैलता है। यह वायरस पहली बार मलेशिया और सिंगापुर में 1998 में पाया गया था।
पहले इस वायरस से सिर्फ सूअर प्रभावित हुए थे। लेकिन हाल के सालों में इंसानों में भी यह फैल गया है। उस समय इस बीमारी ने 265 लोगों को अपनी चपेट में लिया था, जिसमें से 40 फीसदी लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए थे। निपाह वायरस के फैलाने में मुख्य भूमिका टेरोपस परिवार के एक वायरस की है।
साल 2004 में प्रभावित चमगादड़ों ने खजूर के फलों में इस वायरस को फैला दिया था। जिन लोगों ने ये खजूर खाए, वे इस वायरस से पीड़ित हो गए थे। मुख्य रूप से भारत और बांग्लादेश में लोग इससे प्रभावित हुए थे।
निपाह वायरस के लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक, निपाह वायरस हवा के जरिए नहीं फैलता है। इसके फैलने का मुख्य कारण साधारण व्यक्ति का पीड़ित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आना है। निपाह वायरस फैलने की शुरुआत दिमाग से होती है। पीड़ित व्यक्ति का दिमाग सूजने लगता है, जिससे कुछ दिनों के लिए बुखार आ सकता है। इसके साथ ही चक्कर आना और दिमाग अच्छे से काम नहीं करना आम बात है।
यदि इन लक्षणों का इलाज समय पर नहीं किया गया, तो पीड़ित 24 से 48 घंटों में कोमा में जा सकता है। पीड़ित व्यक्ति के श्वसन प्रणाली और अन्य भीतरी प्रक्रिया में कठिनाई हो सकती है। ऐसे में इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
निपाह वायरस के मुख्य लक्षण सिरदर्द, बुखार, चक्कर आना, नींद आना और मानसिक संतुलन बिगड़ना हो सकता है। ये लक्षण 7-10 दिनों तक रह सकते हैं। शुरुआत में सांस से सम्बंधित समस्या भी हो सकती है। आप ध्यान रखें कि इन शुरुआती लक्षणों को बिलकुल नजरअंदाज न करें।
निपाह वायरस का इलाज
वर्तमान में निपाह वायरस का कोई इलाज नहीं है। इसका इलाज सिर्फ यही है कि इसके शुरुआती लक्षणों को ही रोका जा सके। इसके साथ ही रोकथाम और सावधानी बरतना ही सही इलाज हो सकता है। चूंकि वायरस के फैलने का मुख्य कारण खजूर के फल हैं इसलिए आप कुछ दिन के लिए खजूर का सेवन न करें।
इसके अलावा सूअरों और चमगादड़ों से सीधा संपर्क न बनाएं। पीड़ित व्यक्ति से भी दूर रहे। यदि आप ऐसे पीड़ित के पास जाते हैं तो हाथों और मुंह पर किसी प्रकार की सुरक्षा लेकर जाएं। यदि आप ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण को देखते हैं, तो तुरंत अस्पताल में जाकर चेक कराएं।