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वायु प्रदूषण से हो सकता है मोतियाबिंद: अध्ययन

एक अध्ययन के अनुसार प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से मोतियाबिंद होने का जोखिम बढ़ जाता है, जो एक...
वायु प्रदूषण से हो सकता है मोतियाबिंद: अध्ययन

एक अध्ययन के अनुसार प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से मोतियाबिंद होने का जोखिम बढ़ जाता है, जो एक दुर्बल आंख की स्थिति जो अंधेपन का कारण भी बन सकती है। इन्वेस्टिगेटिव ऑप्थल्मोलॉजी एंड विजुअल साइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों में यह पाया गया कि जो लोग सबसे कम प्रदूषित क्षेत्रों के मुकाबले सूक्ष्म कण पदार्थ प्रदूषण के माहौल में रहते हैं उनको ग्लूकोमा होने का जोखिम छह फीसदी ज्यादा होता है।

यूके में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में हुआ शोध

प्रमुख लेखक पॉल फोस्टर, यूके में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) में एक प्रोफेसर ने कहा कि हमने अभी तक एक और कारण पाया है कि क्यों वायु प्रदूषण को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में संबोधित किया जाना चाहिए, और यह कि वायु प्रदूषण के स्रोतों से बचना अन्य स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के साथ-साथ आंखों के स्वास्थ्य के लिए भी सार्थक हो सकता है।

बचाव रणनीति को ढूंढ़ने में लगे हैं

उन्होंने कहा कि हालांकि हम इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते हैं कि एसोसिएशन पंजीकृत है, लेकिन हम अपने शोध को यह निर्धारित करने के लिए जारी रखने की उम्मीद करते हैं कि वायु प्रदूषण वास्तव में मोतियाबिंद का एक कारण है या नहीं। साथ ही यह पता लगाने के लिए कि क्या कोई बचाव रणनीति है जो लोगों को वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से रोक सके ताकी जोखिम को कम करने में मदद हो सके।

छह करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित करता है मोतियाबिंद

शोधकर्ताओं ने बताया कि मोतियाबिंद, एक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है, जो अपरिवर्तनीय अंधापन का प्रमुख वैश्विक कारण है और दुनिया भर में छह करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित करती है। यह आमतौर पर आंख में तरल पदार्थ के दबाव के निर्माण से होता है, जो ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाता है जो आंख को मस्तिष्क से जोड़ती है।

जीवनशैली भी हो सकती है एक बड़ा कारक

फोस्टर ने कहा कि मोतियाबिंद के अधिकांश जोखिम कारक हमारे नियंत्रण से बाहर हैं, जैसे कि अधिक उम्र या आनुवांशिकी। यह पक्का है कि हम अब आंख के दबाव के अलावा मोतियाबिंद के लिए एक दूसरे जोखिम कारक की पहचान भी कर सकते हैं, जिसमें जीवनशैली, उपचार या नीतिगत परिवर्तनों द्वारा हो सकते हैं।

मस्तिष्क,फेफड़ो और हृदय रोग के जोखिम को भी बढ़ाता है वायु प्रदूषण

निष्कर्ष यूके बायोबैंक अध्ययन दल के 111,370 प्रतिभागियों पर आधारित थे, जिन्होंने 2006 से 2010 तक पूरे ब्रिटेन में नेत्र परीक्षण कराया था। साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी उल्लेख किया कि वायु प्रदूषण से फेफड़ो और हृदय रोग के जोखिम के साथ-साथ मस्तिष्क की स्थिति जैसे अल्जाइमर रोग, पार्किंसंस रोग और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है।

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