उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कथित ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ वाली टिप्पणी के लिए कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर लगी रोक शुक्रवार को बढ़ा दी।
न्यायालय ने रोक बढ़ाते हुए शिकायतकर्ता के वकील से यह भी कहा कि ‘‘इतना भावुक क्यों हो रहे हैं’’।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने थरूर के वकील के अनुरोध पर मामले की सुनवाई स्थगित करने के बाद यह आदेश पारित किया। शिकायतकर्ता, भाजपा नेता राजीव बब्बर की ओर से पेश हुए वकील ने मुख्य कार्यवाही दिवस पर सुनवाई की मांग की।
पीठ ने मामले की सुनवाई 15 सितंबर के लिए निर्धारित करते हुए कहा, ‘‘क्या विशेष कार्यवाही दिवस? आप इस सब को लेकर इतने भावुक क्यों हैं? चलिए, इसे बंद कर देते हैं।
थरूर ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 29 अगस्त, 2024 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करते हुए उन्हें 10 सितंबर को निचली अदालत में पेश होने को कहा था।
थरूर के वकील ने पहले तर्क दिया था कि न तो शिकायतकर्ता और न ही राजनीतिक दल के सदस्यों को पीड़ित पक्ष कहा जा सकता है।
वकील ने यह भी कहा कि थरूर की टिप्पणी मानहानि कानून के छूट वाले खंड के तहत संरक्षित है, जो यह निर्धारित करता है कि ‘सद्भावना’ से दिया गया कोई भी बयान आपराधिक नहीं है। इसमें कहा गया कि थरूर ने छह साल पहले कारवां पत्रिका में प्रकाशित एक लेख का संदर्भ मात्र दिया था।
शीर्ष अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया था कि 2012 में, जब लेख मूल रूप से प्रकाशित हुआ था, बयान को मानहानिकारक नहीं माना गया था।
न्यायमूर्ति रॉय ने पहले कहा था, ‘‘आखिरकार, यह एक रूपक है। मैंने समझने की कोशिश की है. यह उस व्यक्ति (मोदी) की अपराजेयता को दर्शाता है जिसका जिक्र किया गया है। मुझे नहीं पता कि किसी ने इस पर आपत्ति क्यों जताई है।’’
थरूर के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से इनकार करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रथम दृष्टया, प्रधानमंत्री के खिलाफ ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ जैसे आरोप ‘घृणित और निंदनीय’ हैं। न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया, इस टिप्पणी ने प्रधानमंत्री, भाजपा के साथ-साथ उसके पदाधिकारियों और सदस्यों की मानहानि की है।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष थरूर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) के तहत तलब करने के लिए पर्याप्त सामग्री मौजूद है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता की टिप्पणी से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
अक्टूबर 2018 में, थरूर ने कथित तौर पर दावा किया था कि एक अनाम आरएसएस नेता ने मोदी की तुलना ‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’ से की थी। कांग्रेस नेता ने कथित तौर पर कहा कि यह एक ‘असाधारण रूपक’ है।