सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस नेता गद्दाम प्रसाद कुमार को राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी (कांग्रेस) में शामिल होने वाले 10 भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर समय पर फैसला करने में विफल रहने के लिए कड़ी चेतावनी जारी की।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने स्पीकर को एक सप्ताह के भीतर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने का निर्देश दिया और अनुपालन न करने पर अदालत की अवमानना की कार्यवाही की चेतावनी दी।शीर्ष अदालत ने कहा, "यह निर्णय अध्यक्ष को लेना है, हम पहले ही मान चुके हैं कि उन्हें संवैधानिक छूट प्राप्त नहीं है।"
सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय बीआरएस विधायक पाडी कौशिक रेड्डी द्वारा तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर आया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि विधानसभा अध्यक्ष ने तीन महीने के भीतर बीआरएस (कांग्रेस में शामिल) के 10 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के निर्देश का कथित रूप से पालन नहीं किया।न्यायालय ने रेड्डी की याचिका पर स्पीकर से दो सप्ताह के भीतर जवाब भी मांगा है।
न्यायालय ने कहा कि अध्यक्ष का आचरण न्यायालय की घोर अवमानना है। मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि यह अध्यक्ष पर निर्भर करता है कि वह मामले का फैसला करना चाहते हैं या न्यायालय की अवमानना का सामना करना चाहते हैं।सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई को तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वे अयोग्यता याचिकाओं पर यथाशीघ्र तथा किसी भी स्थिति में तीन महीने की समय-सीमा के भीतर निर्णय लें।
पीठ ने तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष को यह भी निर्देश दिया था कि वह किसी भी विधायक को अयोग्यता की प्रक्रिया में देरी न करने दें।बेंच ने जुलाई में कहा था कि यदि कोई विधायक कार्यवाही में देरी करने का प्रयास करता है तो उसके खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकालने का निर्देश दिया जाएगा।