एक अध्ययन के अनुसार मधुमेह अकेला ही हृदयाघात के लिए एक बहुत बड़ा जोखिम कारक है। यह दर्शाता है कि हृदय संबंधी असामान्यता के बिना भी, मधुमेह रोगियों में कार्डियक अरेस्ट की संभावना बढ़ जाती है। शोधकर्ताओं, जो मेयो क्लिनिक, अमेरिका स्थित एक अकादमिक चिकित्सा केंद्र में शामिल हैं ने बताया कि हृदयाघात उच्च रक्तचाप जैसी सह-स्थिति या कोरोनरी हृदय रोग का परिणाम हो सकता है, लेकिन हमेशा नहीं।
मेयो क्लीनिक में किया गया शोध
मेयो क्लीनिक प्रोसीडिंग्स पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में अकेले मधुमेह के प्रभाव से मधुमेह संबंधी कार्डियोमायोपैथी और हृदयाघात की जांच की गई। अध्ययन के एक हिस्से में वैज्ञानिकों ने हृदयाघात के संख्या बढ़ने की वजह से मधुमेह के दीर्घकालिक प्रभाव का मूल्यांकन किया।
इस आधार पर किया अध्ययन
उन्होंने उच्च रक्तचाप, कोरोनरी आर्टरी रोग और डायस्टोलिक फंक्शन के लिए नियंत्रण करते हुए एक सामुदायिक आबादी में होने वाली मौतों का भी आकलन किया। शोधकर्ताओं ने मधुमेह के साथ 116 अध्ययन प्रतिभागियों का मिलान किया, जिनकी उम्र, उच्च रक्तचाप, लिंग, कोरोनरी आर्टरी रोग और अनियमित धडकन की तुलना मधुमेह के बिना वाले 232 प्रतिभागियों के साथ की गई। अध्ययन के अनुसार, हृदयाघात से मृत्यु, दिल का दौरा और स्ट्रोक दोनों समूहों के बीच सांख्यिकीय रूप से अलग नहीं थे।
अभी भी बहुत कुछ सीखना और अध्ययन करना बाकी
इस अध्ययन का मुख्य बिंदु यह है कि मधुमेह अकेले हृदयाघात के विकास के लिए एक स्वतंत्र जोखिम कारक है। हम यह आशा करते हैं कि यह अध्ययन मधुमेह और हृदयाघात की आगे की जांच के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगा। मेयो क्लिनिक में अध्ययन के सह-लेखक हॉर्नग चेन ने कहा कि इस संदर्भ में अभी भी बहुत कुछ सीखना और अध्ययन करना बाकी है ताकि इस स्थिति के लिए सबसे अच्छा निदान और उपचार कैसे कर सके।