अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में बुधवार को उन अंगदाताओं के परिजनों को सम्मानित किया गया जिन्होंने निधन के बाद अपने रिश्तेदार के अंग और ऊतक दान देकर जरूरतमंदों को जीवन देने का काम किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा हर्षवर्धन ने उन्हें सम्मानित करते हुए कहा कि यह देश और समाज के लिए एक मिसाल हैं जिन्होंने अंग दान दिया लेकिन आज भी लोगों में इसके प्रति जागरुकता की कमी है जिसके लिए आंदोलन खड़ा करने की जरूरत है।
एम्स के ऑर्बो (ऑर्गेन रिट्रीवल बैंकिंग ऑर्गेनाइजेशन) की ओर से आयोजित इस कायर्क्रम में उन्होंने कहा कि कभी कभी कई काम सरकार, उसकी व्यवस्था और बजट वह काम नहीं कर सकता जो समाज का कोई व्यक्ति इस अनु योगदान को देकर सकता है।
मुफ्त शिक्षा और सुविधाओं पर सरकार करेगी विचार
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि करीब 25 साल पहले दधीचि देहदान समिति ने इस काम को शुरु किया था जिसमें नानाजी देशमुख और खुद मैंने देह दान का संकल्प लिया था। देह दान संकल्प को पूरा करना सबसे अहम है। इसके लिए बड़े पैमाने पर मुहिम चलाए जाने की जरूरत है। अंगदान देने वाले परिजनों को मुफ्त शिक्षा और अन्य सुविधाओं के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस पर गहन चिंतन की जरूरत है और इस दिशा में प्रयास किए जाएंगे।
युवा मामले और खेल और अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किरन रिजूज ने कहा कि हमारे देश में अभी भी काफी लोग अंगदान न मिलने के चलते मर जाते हैं। इसकी मांग और पूर्ति में अंतर है और इसके लिए जागरुकता को बढ़ावा देने की जरूरत है।
सम्मान के पात्र हैं अंगदाताः मेरी कॉम
राज्यसभा सांसद और बाक्सर मेरी कॉम ने कहा कि अंगदाता सम्मान के पात्र हैं जिन्होंने दूसरों की जिंदगी बचाने का काम किया है। उन्होंने शीघ्र ही अंगदान के मामले पर विचार करने का आश्वासन दिया। एम्स के निदेशक डा रणदीप गुलेरिया ने अतिथियों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।
मांग और आपूर्ति में है अंतर
ऑर्बो की इंचार्ज डॉ आरती विज ने कहा कि दुनिया को अलविदा कहने से पहले अंगदान से कई जरूरतमंद लोगों को जीवनदान दिया जा सकता है। यही वजह है कि अंगदान को सरकार भी बढ़ावा देने में लगी है। अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाए जा रहे हैं। हर साल करीब डेढ़ से दो लाख लोगों को किडनी की जरूरत होती है लेकिन केवल सात से आठ हजार लोगों को ही यह मिल पाती है। उन्होंने कहा कि इसी तरह लीवर केवल 18 सौ लोगों को मिल पाता है जबकि जरूरत 80 हजार की रहती है।
इस मौके पर बॉक्सर मेरी कॉम ने ‘अजीब दास्ता का ये’ गीत गाकर सभी का मन मोह लिया। गीतकार मदन चौहान और एम्म फैकल्टी के कुछ डाक्टरों ने इस मौके पर गीत प्रस्तुत किया। कुछ अंग प्रत्यारोपित होने वाले लोगों ने अपने अनुभव भी साझा किए।