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अपराध: कभी बोलती थी जिनकी तूती...

वैसे तो देश भर में अलग-अलग इलाकों में जुर्म के कई चेहरे रहे, लेकिन खासकर बंबई को अपराध का पर्याय बनाने...
अपराध: कभी बोलती थी जिनकी तूती...

वैसे तो देश भर में अलग-अलग इलाकों में जुर्म के कई चेहरे रहे, लेकिन खासकर बंबई को अपराध का पर्याय बनाने में फिल्मों और लोकप्रिय माध्यमों की भूमिका बहुत रही

जब कभी डॉन शब्द का जिक्र आया, स्वाभाविक रूप से बंबई के अंडरवर्ल्ड के कुछ चेहरे आंखों के आगे तैर गए। वैसे तो देश भर में अलग-अलग इलाकों में जुर्म के कई चेहरे रहे, लेकिन खासकर बंबई को अपराध का पर्याय बनाने में फिल्मों और लोकप्रिय माध्यमों की भूमिका बहुत रही। इस फेहरिस्त में सबसे ज्यादा चर्चा दाऊद की हुई, जिसके भारत छोड़कर चले जाने के बाद से यह जगह लंबे अरसे से खाली पड़ी हुई थी। दाऊद के पहले ऐसे भी गैंगस्टर, डॉन या माफिया हुए जो गरीबों का मसीहा तक कहे जाते थे, जिनकी मर्जी के बगैर पत्ता तक नहीं हिलता था। उन पर एक नजर

दाऊद इब्राहिम

भारत के मोस्ट वांटेड अपराधियों की लिस्ट में पहले नंबर पर मौजूद दाऊद 1993 के मुंबई धमाकों का मास्टरमाइंड है। दाऊद के पिता मुंबई पुलिस में हेड कांस्टेबल थे। दाऊद ने भाई शब्बीर के साथ मिलकर तस्करी का काम शुरू किया था। यहीं से मुंबई में खूनी जंग की शुरुआत हुई। शब्बीर के तस्करी के धंधे में आते ही करीम लाला को अपने काम में दखल महसूस हुआ और उसने दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या करवा दी। इसके बाद दोनों गुटों में शुरू हुआ खूनी गैंगवार। भाई का बदला लेने के लिए दाऊद ने करीम के भाई रहीम खान की हत्या कर दी।

अबू सलेम

अबु सलेम

आजमगढ़ का बाशिंदा सलेम दाऊद गैंग का सदस्य है। आजमगढ़ से लड़कों को मुंबई लाकर उन्हें भाड़े के हत्यारों के रूप में काम कराने का जिम्मा सलेम का ही था। अबू सलेम फिल्म निर्माताओं से उगाही करता था। 2002 में पुर्तगाल में उसे गिरफ्तार किया गया था। मोनिका बेदी से प्रेम और उसके लिए जाली पासपोर्ट बनवाने के चक्कर में वह फंस गया और अब भी जेल में है।

हाजी मस्तान

हाजी मस्तान

मस्तान को बंबई के अंडरवर्ल्ड का ‘अगुवा’ कहा जा सकता है। जब भी अंडरवर्ल्ड की कहानी लिखी जाएगी, पहला नाम हाजी मस्तान का ही आएगा। वह मुंबई का पहला अंडरवर्ल्ड डॉन था। बाद में मस्तान की गद्दी वरदराजन मुदलियार और करीम लाला ने संभाली। तमिलनाडु के छोटे से गांव कुड्डलूर में पैदा हुआ मस्तान 1970 तक मुंबई पर एकछत्र राज करता था। महंगे सूट और मर्सिडीज का शौकीन मस्तान गरीबों के मसीहा के रूप में भी ख्यात था।

वरदराजन मुदलियार

वरदराजन मुदलियार

तत्कालीन मद्रास प्रेस‌िडेंसी के थूटुकुडी का वरदराजन मुदलियार जल्द अमीर बनने की चाहत लिए मुंबई आया था। मुंबई रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने के बाद वरदराजन अवैध शराब के कारोबार से जुड़ गया। जब वह मुंबई आया था, तब हाजी मस्तान और करीम लाला का वहां सिक्का चलता था। उसके काम करने के तरीके से हाजी मस्तान इतना प्रभावित हुआ कि उसे अपने साथ रख लिया। अवैध शराब के धंधे, जुए के अड्डे के मुकाबले वरदराजन को सुपारी लेकर हत्या करना और तस्करी ज्यादा पसंद थी।

करीम लाला

करीम लाला

अफगानी लाला 1921 की पैदाइश था। तस्करी समेत कई गैर-कानूनी धंधों का मालिक हाजी मस्तान का प्रिय था। 21 साल की उम्र में पेशावर के रास्ते वह मुंबई पहुंचा और 1940 तक तस्करी में दबदबा बना लिया। जुआ, शराब, सोने की स्मलिंग करने वाला लाला वरदराजन मुदलियार और हाजी मस्तान के इलाके में कभी नहीं गया। यही वजह थी कि तीनों के बीच कभी खूनी गैंगवार नहीं हुआ।

छोटा राजन

छोटा राजन

बड़ा राजन की हत्या के बाद छोटा राजन ने उसके धंधे को आगे बढ़ाया। अपने गुरु बड़ा राजन के हत्यारे को जान से मारने की उसने बहुत कोशिश की। बड़ा राजन के हत्यारे अब्दुल कुंजू को उसने अस्पताल में मारने की कोशिश की थी। इससे दाऊद इतना प्रभावित हुआ कि उसने छोटा राजन को अपने गैंग में शामिल कर लिया। बाद में छोटा राजन दाऊद का खास बन गया।

छोटा शकील

छोटा शकील

दाऊद इब्राहिम का दायां हाथ कहा जाने वाला छोटा शकील मुंबई बम धमाकों का आरोपी था। उसका असली नाम मोहम्मद शकील बाबू शेख था। ट्रैवल एजेंसी चलाने वाला शकील दाऊद गैंग में आते ही उसका करीबी हो गया था। डी कंपनी के काम से वह पाकिस्तान गया था, जहां उसकी मौत हो गई। आज तक यह पुष्ट नहीं हो सका कि वहां उसकी हत्या हुई थी या मौत की वजह हार्ट अटैक थी।

बड़ा राजन

राजन नायर कब बड़ा राजन बन गया शायद उसे भी पता नहीं चला। छोटा राजन का गुरु बड़ा राजन मुंबई में दर्जी का काम करता था। अपनी प्रेमिका के लिए वह अपराध की दुनिया में चला आया। प्रेमिका के शौक पूरे करने के लिए महंगे टाइपराइटर की उसने चोरी शुरू की। चोरी के जुर्म में तीन साल जेल काटने के बाद वह गोल्डन गैंग का मालिक बनकर बाहर निकला। रंगदारी, वसूली, तस्करी, फिल्मों के टिकट ब्लैक करना और पैसे लेकर कब्जा दिलाना बड़ा राजन का मुख्य धंधा था।

अरुण गवली

अरुण गवली

मजदूर पिता गुलाबराव की संतान अरुण को दाऊद के मुंबई छोड़ने का बहुत फायदा मिला। दाऊद ने जब मुंबई छोड़ा तो केवल दो ही खिलाड़ी अपराध की दुनिया में बचे थे, गवली और अमर नाइक। एक एनकाउंटर में अमर नाइक मारा गया। एक वक्त ऐसा भी आया जब उसके नाम से मुंबई के अच्छे-अच्छे खौफ खाते थे। डैडी नाम से पहचाने जाने वाले गवली ने अखिल भारतीय सेना नाम से खुद की पार्टी बनाकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भी लड़ा था।

रवि पुजारी

रवि पुजारी

गैंगस्टर पुजारी को सेनेगल पुलिस ने तीन साल पहले ड्रग तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। नकली पासपोर्ट के सहारे वह दक्षिण अफ्रीका चला गया, जहां एक संयुक्त ऑपरेशन के बाद उसे गिरफ्तार किया गया। पुजारी डी कंपनी का सदस्य था, हालांकि बाद में वह अकेले अपराध की दुनिया में अपना गैंग बना कर रहा। रियल एस्टेट व्यापारियों और बॉलीवुड अभिनेताओं को धमकी देकर फिरौती वसूलना उसका मुख्य काम था।

 

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