सरकार देश में अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिए कुछ क्षेत्रों में प्रक्रियाओं को और आसान बनाने पर विचार कर रही है। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने विभिन्न सरकारी विभागों, नियामकों, उद्योग संघों, सलाहकार एवं कानूनी फर्मों, पेंशन कोषों, निजी इक्विटी और उद्यम पूंजी कंपनियों के साथ हितधारक परामर्श आयोजित किया है। विभाग ने देश में एफडीआई को और अधिक आकर्षित करने के तरीकों पर उनके विचार मांगे।
अधिकारी ने कहा, “हमने परामर्श पूरा कर लिया है। विभाग को विभिन्न मुद्दों पर सुझाव प्राप्त हुए हैं। अभी तक चीजों को अंतिम रूप नहीं दिया गया है…प्रक्रियात्मक मोर्चे पर मानदंडों को आसान बनाने पर विचार किया जा रहा है।” हालांकि, अधिकारी ने यह नहीं बताया कि सरकार किन क्षेत्रों में प्रक्रियागत ढील देने पर विचार कर रही है।
परामर्श में जिन मुद्दों को उठाया गया उनमें ई-वाणिज्य कंपनियों को केवल निर्यात उद्देश्यों के लिए ऑनलाइन व्यापार के इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में एफडीआई प्राप्त करने की अनुमति देना; लाभकारी स्वामित्व को परिभाषित करके प्रेस नोट-3 को आसान बनाना; तथा एकल-ब्रांड खुदरा व्यापार के लिए नीति में कुछ बदलाव करना शामिल था।
प्रेस नोट के अनुसार, भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों के निवेशकों के लिए किसी भी क्षेत्र में सरकारी अनुमोदन अनिवार्य है।
अप्रैल, 2000-सितंबर, 2024 की अवधि में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह एक हजार अरब डॉलर के मील के पत्थर को पार कर गया है।
इनमें से अधिकतम प्रवाह को आकर्षित करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, दूरसंचार, व्यापार, निर्माण विकास, वाहन, रसायन और फार्मास्युटिकल्स शामिल हैं।
चालू वित्त वर्ष (2024-25) की अप्रैल-सितंबर अवधि में भारत में निवेश सालाना आधार पर 45 प्रतिशत बढ़कर 29.79 अरब डॉलर हो गया।