एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कई मीडिया रिपोर्ट्स में एक विधेयक को लेकर चर्चा हो रही है जिसे केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की "अनियंत्रित" शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए पेश करने की योजना बना रही है।
इसे 'हिंदुत्व एजेंडा' बताते हुए ओवैसी ने कहा कि 'भाजपा शुरू से ही वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों के खिलाफ रही है' और इसने वक्फ संपत्तियों और वक्फ बोर्ड को खत्म करने का प्रयास किया है। रविवार को हैदराबाद में पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने कहा, "मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है। वह वक्फ संपत्ति को चलाने के तरीके में हस्तक्षेप करना चाहती है। यह अपने आप में धर्म की स्वतंत्रता के खिलाफ है।"
उन्होंने चेतावनी दी कि वक्फ बोर्ड की व्यवस्था और नियमों में बदलाव से "प्रशासनिक अराजकता" पैदा होगी और उनकी स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी। प्रस्तावित संशोधनों से संकेत मिलता है कि सरकारी अधिकारी विवादित संपत्ति का सर्वेक्षण करेंगे, न कि मामले पर अदालत में फैसला सुनाया जाएगा। ओवैसी ने आरोप लगाया कि अगर सर्वेक्षण भाजपा सरकार द्वारा किया जाता है, तो इसका नतीजा यह होगा कि संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं है।
ओवैसी ने कहा कि देश में कई दरगाह और मस्जिद हैं, जिनके बारे में भाजपा-आरएसएस दावा करता है कि वे दरगाह और मस्जिद नहीं हैं। उन्होंने कहा, "कुल मिलाकर, अगर मीडिया की रिपोर्टें सच हैं, तो मोदी सरकार मुसलमानों से वक्फ बोर्ड की संपत्ति छीनना चाहती है।" उन्होंने चेतावनी दी कि भाजपा के सहयोगियों को सोचना होगा कि क्या वे चाहते हैं कि मुसलमानों की वक्फ संपत्ति छीन ली जाए। उन्होंने कहा कि जब संसद सत्र चल रहा होता है, तो सरकार मामले की जानकारी मीडिया को दे रही होती है और संसद को नहीं, जो संसदीय सर्वोच्चता के खिलाफ है।