भारत में कोविड-19 के उच्च जोखिम वाले मामलों में इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) उपयोग की जा सकती है। यह सुझाव इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से कोविड-19 के लिए बनाई गई नेशनल टास्क फोर्स ने दिया है। बता दें कि यह दवा मुख्य रूप से मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होती है।
एडवायजरी के अनुसार, ये दवा उन हेल्थकेयर वर्कर्स को दी जा सकती है जो संदिग्ध या पुष्ट कोविड-19 मामलों की सेवा में लगे हैं। इसके साथ ही लैब में पुष्ट मामलों के घरवालों को भी यह दवा देने की नसीहत दी गई है। बता दें कि कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इसी दवा का नाम सुझाया था।
क्या प्रभावशाली है ये दवा?
अभी तक कोरोना वायरस के इलाज के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। जबकि विभिन्न रिसर्च, रिपोर्ट्स में क्लोरोक्वीन फॉस्फेट व हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन सल्फेट को कोरोना के इलाज में मददगार पाया गया है। अमेरिका में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) यह दवा इम्पोर्ट कर रहा है। चीन के हेल्थ डिपार्टमेंट ने भी फरवरी में कहा था कि क्लोरोक्वीन फॉस्फेट के इस्तेमाल से अच्छे परिणाम मिले हैं।
भारत में लगातार बढ़ रहे हैं मामले
कोरोना का प्रकोप भारत के विभिन्न राज्यों तक पहुंच गया है। आईसीएमआर के अनुसार, सोमवार तक देश में कोरोनावायरस के पुष्ट मामलों की संख्या 415 हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर भी पुष्ट मामलों की संख्या यही है। रिपोर्ट के मुताबिक, 23 मार्च, 2020 को सुबह 10 बजे तक 17,493 लोगों के 18,383 नमूनों का कोविद-19 परीक्षण किया गया। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक 23 मरीज ठीक हो चुके हैं और अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं। देश में अब तक कोरोना वायरस से 8 लोगों की जानें जा चुकी है।