सरदार पटेल: एक महामानव पुस्तक में आजादी के बाद अत्यंत कठिन परिस्थितियों में देश को एकता के सूत्र में बांधने के उनके प्रयासों का जिक्र किया गया है। लेखक दिनकर जोशी की पुस्तक में कहा गया है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद स्वयं को स्वतंत्र मान लेने वाली 562 रियासतों का एकीकरण करके सरदार बल्लभाई पटेल ने जो सिद्धि प्राप्त की थी वह वैश्विक इतिहास में ऐसी अद्वितीय घटना है जिसके समक्ष बिस्मार्क भी बौने साबित होंगे। भारत का जो नक्शा ब्रिटिश शासन में खींचा गया था, उसकी 40 प्रतिशत भूमि इन देशी रियासतों के पास थी। पुस्तक में कहा गया है कि शेष 60 प्रतिशत भूमि जो ब्रिटिश इंडिया के रूप में पहचानी जाती थी, उसका 20 प्रतिशत भाग विदेशी भूमि के रूप में पहचाना जाता था। फलस्वरूप स्वतंत्र कहलाने वाले भारत के पास तो अखंड भारत का केवल 20 प्रतिशत ही शेष बचा था।
दिनकर जोशी की इस किताब में कहा गया है कि स्वतंत्रता के सपने को साकार करने के लिए जिस दृढ़ता से देशी रियासतों का एकीकरण किया गया, वह सरदार पटेल के ही बस की बात थी। पुस्तक में कहा गया है कि सरदार पटेल के समक्ष 562 रियासतें थी। उनका एकीकरण करना था। लेकिन उनके मन में इन रियासतों के साथ संघर्ष की कोई कल्पना नहीं थी। जूनागढ़, हैदराबाद में मजबूरी में थोड़़ा रक्त बहा परंतु सरदार ने अंतत: एकीकरण का लक्ष्य पूरा किया।