गुजरात में कांग्रेस की संभावनाओं को बेहतर बनाने में प्रदेश अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी की मेहनत और सांगठनिक कौशल की चर्चा खास तौर पर की जाती है। जाहिर है, इससे पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत माधव सिंह सोलंकी के बेटे, बेदाग छवि वाले युवा सोलंकी के सामने चुनौतियां भी बेहिसाब हैं। बेहद व्यस्त कार्यक्रमों के बीच अहमदाबाद में उन्होंने संपादक हरवीर सिंह से चुनावी रणनीति पर विस्तार से बातचीत की। कुछ अंशः
इस बार राहुल गांधी के व्यापक दौरे हुए और भीड़ भी ठीकठाक आई। आप 2012 के विधानसभा चुनावों से इस बार माहौल में कैसा बुनियादी बदलाव देख पा रहे हैं?
भाजपा सरकार से हर समुदाय और समाज के सभी वर्ग परेशान हैं। पिछले पांच साल में किसी को कोई फायदा इस सरकार से नहीं मिला है। यही वजह है कि सभी आंदोलन कर रहे हैं। पाटीदार आंदोलन कर रहे हैं, दलित आंदोलन कर रहे हैं, दूसरे समाज के लोग भी आंदोलन कर रहे हैं। पाटीदार हों, या दलित, ओबीसी, ट्राइबल या फिर ब्राह्मण या मिडिल क्लास, सभी इस सेफिल्श, करप्ट, एरोगेंट (स्वार्थी, भ्रष्ट और अहंकारी) सरकार से नाराज हैं।
लेकिन भाजपा तो कहती है कि वह करप्शन के एकदम खिलाफ है।
आपने जय शाह का उदाहरण भी देख लिया है और बाकी लोगों का भी देख लिया है कि वो करप्शन के बारे में क्या कह रहे हैं। गुजरात में जो लैंड वगैरह की स्कीम....-तलाटी, एक्यूपमेंट कांड हुआ था। भर्ती कैंसिल करनी पड़ी क्योंकि किसी के घर से पैसा गिनने की मशीन मिली।
किसानों की क्या नाराजगी है?
किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिला। न कपास, न मूंगफली, न दाल, न धान का समर्थन मूल्य मिला। किसानों को 14 घंटे बिजली देने की बात करते थे लेकिन आठ घंटे मिल रही है और वह भी रात में। सबसे महंगी बिजली गुजरात में है।
युवाओं के क्या मुद्दे हैं।
यहां 30 लाख बेरोजगार युवा हैं। हमने कहा है कि हम रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ ही बेरोजगारी भत्ता भी देंगे। यह भत्ता शैक्षिक आधार पर तीन हजार और चार हजार रुपये प्रति माह होगा।
पाटीदार आंदोलन के अगुआ हार्दिक पटेल से आपकी बातचीत चल रही है। क्या पाटीदारों की नाराजगी को वोटों में बदल पाएंगे?
हम जनता के साथ हैं। जनता के सवालों के साथ खड़े रहेंगे। समाज का कोई भी वर्ग हो। जैसे दलितों पर ऊना में अत्याचार हुआ तो उसके साथ भी हम खड़े हुए। जिग्नेश मेवाणी भी भाजपा के खिलाफ हैं। ओबीसी के लीडर अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है और वे एजीटेशन कर रहे थे शिक्षा के लिए, क्योंकि पढ़ाई महंगी हो गई है। ‘स्टैंडर्ड ऑफ एजुकेशन, प्राइमरी एजुकेशन हैज गॉन डाउन।’ इन सब मुद्दों पर हम जनता के साथ हैं।
बाइस साल की एंटी-इंकम्बेंसी का आपको कितना फायदा होगा? निकाय चुनावों में कैसे नतीजे रहे?
कांग्रेस को फायदा होगा, यह हम नहीं सोचते। ये लड़ाई भाजपा बनाम गुजरात की जनता की है। हम तो गुजरात की जनता के सपोर्ट में हैं। हम स्थानीय निकाय चुनावों में जीते हैं। 2015 में हमने 23 जिला पंचायत जीती हैं, जो दो-तिहाई से ज्यादा हैं। शहरी लोकल बॉडी में हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है। मोदी जो पिक्चर दिखाते हैं, वह बाहर की हवा है। यहां कुछ नहीं है। हम स्थानीय चुनावों में शहरी-ग्रामीण मिलाकर 105 सेगमेंट जीते। यह बढ़कर 125 हो जाएगा। भाजपा से हमारा सात फीसदी वोट का अंतर था। बारह फीसदी फ्लोटिंग वोट था। भाजपा से भी वोट टूटेंगे और ये बारह फीसदी भी मिल जाएंगे। मतलब इस बार काफी उलट-पुलट हो जाएगा।
जेपी आंदोलन को याद करें तो उसे गुजरात के युवकों ने शुरू किया था। तो, क्या अल्पेश, जिग्नेश और हार्दिक के आंदोलनों से उस तरीके की हवा उठेगी?
ये यूथ लीडर हैं। काफी पॉपुलर हैं। दे कैन चेंज द सिनेरियो।
आप बेरोजगारी भत्ता मेनिफेस्टो में एनाउंस करने जा रहे हैं। कब तक इसे जारी करेंगे?
काम चल रहा है। मधुसूदन मिस्त्री उसके चेयरमैन हैं।
नोटबंदी और जीएसटी से जिस तरह धंधे चौपट हुए। कांग्रेस की अच्छी रैली हुई सूरत में। तो, क्या व्यापारियों का पारंपरिक वोट भाजपा से खिसकेगा।
खिसकेगा नहीं, जमकर कांग्रेस को वोट देगा।
शंकर सिंह वाघेला के छोड़कर जाने से आपको फायदा हुआ या नुकसान?
फायदा हुआ। कोई पूछता तक नहीं उनको। हमें छोड़कर गए लेकिन चुनाव में खड़े होने की हिम्मत मुश्किल से जुटा पाएंगे। वे खड़े ही नहीं होंगे।
सीएम चेहरे का ऐलान करेंगे?
नहीं, हमारी पॉलिसी नहीं है।
पंजाब, हिमाचल में तो किया गया।
कभी कर सकते हैं। यह हाईकमान पर है।
टिकट बंटवारा कब तक पूरा हो जाएगा?
15-16 नवंबर तक सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जाएगी।
गुजरात के किस हिस्से में आपकी मजबूती ज्यादा लगती है?
राहुल जी की नवसर्जन संपर्क यात्रा को तो तीनों हिस्सों में बहुत सपोर्ट मिला। उत्तर गुजरात में हम पहले से स्ट्रांग हैं। हम सोचते थे कि दक्षिण गुजरात में थोड़ा हल्का रहेगा। लेकिन, वहां भी लोग जमकर आए। लोग उत्साहित थे और खूब नारे लगा रहे थे।
राहुल गांधी बदल गए हैं। उनके बोलचाल का तरीका बदला है, एग्रेसन आया है और पार्टी अध्यक्ष के लिए तैयार दिखते हैं। मंदिर में गए।
मंदिर में जाना अच्छी बात है। वी आर सेकुलर पीपुल, वी गो टू एवरीव्हेयर। पहले भी जाते थे। इंदिरा जी भी जाती थीं, नेहरू जी भी जाते थे, राजीव जी भी जाते थे, सब जाते थे। राहुल जी भी जा रहे हैं, सोनिया जी भी जा रही हैं।
राहुल की बातों से आपलोगों को कितना फायदा मिला?
लोग देश में नया नेतृत्व चाहते हैं। राहुल जी जो मुद्दे उठा रहे हैं, वह लोगों के दिलों को छू रहा है। भाजपा नेतृत्व बुरी तरह नाकाम है। वह अपने वादे पर खरा नहीं उतरा। इकोनॉमी बुरे हाल में है।
मोदी और शाह की जोड़ी अभी भी यहां इफेक्टिव रहेगी या उनके केंद्र में जाने का कांग्रेस को कुछ लाभ मिलेगा?
मोदी पहले दो महीने में एक दो बार आते थे, अब एक महीने में पांच बार गुजरात आते हैं। अमित शाह दस दिन आते हैं। पूरी कैबिनेट को उतार दिया। सभी मुख्यमंत्रियों को बुलाया। उनकी पार्टी अगर पॉपुलर है तो क्यों इतने सारे लोगों को उतारना पड़ रहा है। सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण, अरुण जेटली पहले क्यों नहीं आते थे। डरे हुए हैं, बौखला गए हैं कि गुजरात गया तो दिल्ली भी गया। गुजरात भारतीय राजनीति को बदल देगा।