चीन की आबादी भारत से अधिक है लेकिन चीन में टीबी संक्रमित मरीजों की संख्या भारत की एक तिहाई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में अनुमानित टीबी के एक चौथाई से अधिक मामले भारत में हैं। भारत में 2019 में 24 लाख टीबी के मामले दर्ज किए गए और इस बीमारी के कारण 79,000 से अधिक मौतें हुईं। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़ें इससे भी ज्यादा भयावह हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक भारत में हरेक तिमाही में करीब 20,000 मौतें होती हैं। आउटलुक से खास बातचीत में उत्तराखंड के शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, "उत्तराखंड में हम तीन नए अभियान चला रहे हैं। 2024 तक हम पूरे उत्तराखंड को टीबी मुक्त कर देंगे। इसके लिए हमने राज्य के 23000 से ज्यादा मरीजों की पहचान कर ली है।" यह पूछे जाने पर की इस टारगेट को पूरा करने के लिए धन सिंह रावत क्या कर रहे हैं, वो कहते हैं, "एक टीबी के मरीज को एक आदमी गोद लेगा और लगातर 10 महीने तक उस मरीज की देखभाल की जाएगी। इस 10 महीने में सरकार उसे 6 बार हॉस्पिटल चेकअप के लिए ले जाएगी।"
गौरतलब है कि 2017 में उत्तराखंड में करीब 16,760 टीबी के मरीज पाए गए थे। यूएन ने 2030 तक पूरे विश्व से टीबी खत्म करने का लक्ष्य रखा है लेकिन भारत सरकार ने यूएन से पांच साल पहले 2025 तक पूरे भारत से टीबी को जड़ से उखाड़ने का लक्ष्य रखा है। धन सिंह रावत का बयान इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि वह भारत सरकार के लक्ष्य से एक साल पहले ही उत्तराखंड को टीवी मुक्त करने की बात कर रहे हैं।
मंकीपॉक्स को लेकर उनकी सरकार कितनी सतर्क है, इसपर वह कहते हैं, "मंकीपॉक्स को लेकर हमने एसओपी जारी कर दिया है। उत्तराखंड इसको लेकर पूरी तरह से तैयार है। जो भी उचित निर्णय लेना है वो हम ले रहे हैं। कोई व्यक्ति अगर ऐसे देश से आता है जहां मंकीपॉक्स के मामले मिले हैं तो उस व्यक्तिय की पहले हम स्क्रीनिंग करने पर जोर दे रहे हैं ताकि संक्रमण का पता तुरंत लगाया जा सके।"
इसके अलावा धन सिंह रावत ने कहा, "उत्तराखंड में 10,000 में से 178 महिलाओं की प्रसव के बाद या दौरान मृत्यु हो जाती है। ऐसा होने के बाद जो अनाथ बच्चे हैं उनके लिए हम मदर मिल्क बैंक बना रहे हैं।" संस्थागत डिलीवरी पर जोर देते देते हुए उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि 100 फीसदी डिलीवरी अस्पताल में हो। इसके लिए महिलाओं को डिलीवरी के लिए निशुल्क वैन की सेवा भी हम प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हमारा राज्य पहाड़ी है। कितनों की आजीविका पहाड़ों से चलती है। सैकडों लोग पहाड़ पर घास काटते हुए फिसल जाते हैं जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है। उन्हें जल्द से जल्द चिकित्सा उपलब्ध हो इसके लिए हम एयर एम्बुलेंस की भी व्यवस्था किए हैं।
यह पूछे जाने पर की पारंपरिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उनकी सरकार क्या कर रही है, वो कहते हैं, "उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है जिसने नई शिक्षा नीति को लागू कर दिया है। इसमें हम वैदिक गणित ला रहे हैं। संस्कृत को द्वितीय राज्यभाषा बना दिया है। प्रत्येक डिग्री कॉलेज में हमने एक योग के टीचर रखे हुए हैं। बाल वाटिका चलाने वाला देश का पहला राज्य भी उत्तराखंड है।"
आपको बता दें कि हाल ही धन सिंह रावत केरल जाकर वहां राज्य की शिक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था। यह पूछे जाने पर की केरल की शिक्षा व्यवस्था उन्हें कैसी लगी, इसपर वो कहते हैं कि काफी इनोवेटिव कार्य हमारे राज्य में और केरल में भी हो रहा है। मैं देश के हरेक राज्य में वहां की शिक्षा व्यवस्था को जानने के लिए जाता हूँ। जिस राज्य की जो खूबियां होती हैं उसे लागू करने की हमारी कोशिश होती है।