सन 2019 से 2023 तक के लिए प्रतिष्ठित 'रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार' की आज विधिवत घोषणा की गई। 2019 के लिए यह पुरस्कार निर्देश निधि को उनकी कहानी ‘मैं ही आई हूं बाबा’ के लिए दिया जाएगा। यह कहानी कथादेश पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। वरिष्ठ कथाकार महेश कटारे ने इस कहानी का चयन किया है। 2020 के लिए हंस पत्रिका में प्रकाशित कहानी ‘द हैप्पी बड्डे ऑफ सुमन चौधरी’ को वरिष्ठ व्यंग्यकार-उपन्यासकार प्रदीप पंत ने इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना है। इस कहानी की पात्र सुमन को जीवंत तरीके से रचने वाली लेखिका अंजू शर्मा हैं। अंजू शर्मा इस कहानी के जिरये जन्मदिन मनाने की छोटी सी इच्छा को लेकर एक लड़की के मन की खूबसूरती से पड़ताल करती हैं। इस बहाने वे लिंग भेद की बारीकी पर ध्यान दिलाती हैं और पाठको को सोचने पर मजबूर कर देती हैं।
2021 के लिए कथादेश में ही प्रकाशित आशा पांडेय की कहानी ‘डेढ़ सेर चांदी’ ने यह पुरस्कार हासिल किया है। इस कहानी का चयन प्रसिद्ध रंगकर्मी, देवेंद्रराज अंकुर ने किया है। 2022 का पुरस्करा इस बार अखिलेश श्रीवास्तव ‘चमन’ के खाते में गया है। उन्हें यह पुरस्कार वर्तमान साहित्य में प्रकाशित रचना ‘इच्छा’ के लिए दिया जाएगा। उनकी कहानी का चयन कवि-अनुवादक केवल गोस्वामी किया है। पांचवें यानी 2023 के लिए यह पुरस्कार गीताश्री की नई धारा में प्रकाशित कहानी ‘शमशान वैराग्य’ के लिए दिय जाएगा। फिल्मकार अनवर जमाल ने इस कहानी को अनुशंसित किया है। पुरस्कार समिति के संयोजक महेश दर्पण ने बताया कि पुरस्कार समारोह सितंबर माह में दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इससे पहले यह पुरस्कार 20 रचनाकारों को उनकी उत्कृष्ट कहानियों के लिये प्रदान किया जा चुका है। हर साल पत्रिकाओं में प्रकाशित किसी एक श्रेष्ठ कहानी को ये पुरस्कार वरिष्ठ साहित्यकार रमाकांत जी की स्मृति में दिया जाता है।
इससे पहले ये पुरस्कार नीलिमा सिंह, कृपाशंकर, अजय प्रकाश, मुकेश वर्मा, नीलाक्षी सिंह, सूरजपाल चौहान, पूरन हार्डी, अरविंद कुमार सिंह, नवीन नैथानी, योगेंद्र आहूजा, उमाशंकर चौधरी, मुरारी शर्मा, दीपक श्रीवास्तव, आकांक्षा पारे काशिव, ओमा शर्मा, किरन सिंह, इंदिरा दांगी, विवेक मिश्र, दिव्या शुक्ला और राकेश तिवारी को मिला है। इन पांच पुरस्कारों को मिलाकर अब तक 25 वर्ष के पुरस्कार संपन्न हो जाएंगे।