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सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुरक्षित रखा आदेश; सीबीआई, ईडी से पूछा- आबकारी नीति घोटाले में कहां देखते हैं 'सुरंग का अंत'

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आप नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए...
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुरक्षित रखा आदेश; सीबीआई, ईडी से पूछा- आबकारी नीति घोटाले में कहां देखते हैं 'सुरंग का अंत'

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आप नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए सीबीआई और ईडी से पूछा कि वे दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में "सुरंग का अंत" कहां देखते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि दोनों मामलों में कुल 493 गवाह हैं और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से पूछा कि मुकदमे को पूरा होने में कितना समय लगेगा।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की पीठ ने जांच एजेंसियों का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू से पूछा, "493 गवाह हैं। अगर आप उनमें से 50 प्रतिशत को भी हटा दें, तो यह लगभग 250 होगा। वास्तव में, हमें बताएं कि आप सुरंग का अंत कहां देखते हैं?" विधि अधिकारी ने कहा कि इस मामले में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में आठ-आठ महत्वपूर्ण गवाह हैं।

पीठ ने पूछा, "मुकदमा कब शुरू हो सकता है?" राजू ने जवाब दिया, "आरोप तय होने के एक महीने के भीतर इन (आठ) गवाहों से पूछताछ की जा सकती है।" उन्होंने तर्क दिया कि कुछ गवाह ऐसे भी थे जिन्हें इन मामलों में कुछ अन्य सह-आरोपियों ने धमकाया था।

विधि अधिकारी ने कहा कि सिसोदिया का यह दावा सही नहीं है कि इन मामलों में देरी जांच एजेंसियों के कारण हुई। राजू ने कहा, "मुकदमा शुरू हो सकता था। हमारी आगे की जांच किसी और चीज के लिए थी। उनके (सिसोदिया) खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है, इसलिए मुकदमा आगे बढ़ सकता था।"

उन्होंने कहा कि सिसोदिया ने इन मामलों में आरोप मुक्त करने के लिए कोई आवेदन दायर नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इन मामलों की प्रगति में देरी इसलिए हुई है क्योंकि सिसोदिया और अन्य आरोपियों ने कई आवेदन दायर किए थे, जिनमें अभियोजन एजेंसियों द्वारा भरोसा नहीं किए गए दस्तावेजों की मांग की गई थी। पीठ ने कहा कि अदालत ने किसी भी आवेदन को तुच्छ या मुकदमे में देरी करने के इरादे से खारिज नहीं किया है।

सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि जांच एजेंसियों ने पहले सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका नहीं जताई है। पीठ ने कहा, "हम जानते हैं कि हर जमानत मामले में सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप होता है।" सिंघवी ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा दी गई दलीलें पूरी तरह से "दिखावा" थीं और उन्हें पहले कभी भी उच्च न्यायालय या निचली अदालत के समक्ष नहीं उठाया गया था। उन्होंने कहा कि सिसोदिया की रिहाई को विफल करने के लिए मंगलवार को शीर्ष अदालत के समक्ष ऐसी दलीलें दी गईं।

सिसोदिया को अब रद्द कर दी गई दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में अनियमितताओं में कथित संलिप्तता के लिए सीबीआई ने 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था। ईडी ने उन्हें 9 मार्च, 2023 को सीबीआई की एफआईआर से उपजे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया। उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने जमानत मांगी है और कहा है कि वह 17 महीने से हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है।

ईडी और सीबीआई ने उनकी जमानत याचिकाओं का विरोध किया है। सोमवार को दलीलों के दौरान, ईडी ने शीर्ष अदालत के समक्ष दावा किया था कि उसके पास कथित घोटाले में सिसोदिया की "गहरी संलिप्तता" दिखाने के लिए दस्तावेज हैं और यह कोई "मनगढ़ंत मामला" नहीं है क्योंकि ऐसे कई सबूत हैं जो उनकी सीधी संलिप्तता का संकेत देते हैं। इन मामलों की प्रगति में देरी पर प्रकाश डालते हुए, सिंघवी ने तर्क दिया था कि सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार और धनशोधन के मामलों में कुल 493 गवाह और 69,000 पन्नों के दस्तावेज थे।

शीर्ष अदालत ने 16 जुलाई को सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी और सीबीआई तथा ईडी से जवाब मांगा था। सिसोदिया ने इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 21 मई को उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज करने के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। उन्होंने उच्च न्यायालय में 30 अप्रैल को निचली अदालत द्वारा दो मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज करने के आदेश को चुनौती दी थी।

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