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ज्ञानवापी सर्वेक्षण के लिए हिंदू पक्ष की अर्जी पर बहस हुई पूरी, इस तारीख में आ सकता है आदेश

पूरे ज्ञानवापी परिसर में खुदाई के जरिए सर्वेक्षण की मांग करने वाली अर्जी पर शनिवार को वाराणसी की एक...
ज्ञानवापी सर्वेक्षण के लिए हिंदू पक्ष की अर्जी पर बहस हुई पूरी, इस तारीख में आ सकता है आदेश

पूरे ज्ञानवापी परिसर में खुदाई के जरिए सर्वेक्षण की मांग करने वाली अर्जी पर शनिवार को वाराणसी की एक अदालत में बहस पूरी हो गई और 25 अक्टूबर को इस मामले पर आदेश आने की संभावना है, हिंदू पक्ष के एक वकील ने यहां यह जानकारी दी।

हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले मदन मोहन यादव ने बताया, मुस्लिम पक्ष और सर्वेक्षण का विरोध कर रहे वक्फ बोर्ड के वकीलों ने सिविल जज सीनियर डिवीजन जुगल किशोर शंभू के समक्ष अपनी दलीलें पूरी कर लीं। यादव ने बताया कि दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 25 अक्टूबर तय की है, जब वह इस मामले पर अपना आदेश दे सकती है।

16 अक्टूबर को हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर में खुदाई करने की अपनी दलील को पुख्ता करने के लिए खुदाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की विशेषज्ञता का हवाला दिया था। सिविल जज शंभू ने दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई 19 अक्टूबर के लिए तय की थी। मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी थी कि जब हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मामले को उठाने की अपील की है, तो ट्रायल कोर्ट में इस मामले पर बहस करने का कोई मतलब नहीं है।

उन्होंने यह भी दलील दी कि जब ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वेक्षण एक बार पहले ही हो चुका है, तो दूसरा सर्वेक्षण करने का कोई औचित्य नहीं है। वकीलों ने यह भी कहा था कि सर्वेक्षण के लिए मस्जिद परिसर में गड्ढा खोदना किसी भी तरह से व्यावहारिक नहीं है और इससे मस्जिद को नुकसान हो सकता है।

इससे पहले हिंदू पक्ष ने दलील दी थी कि ज्ञानवापी परिसर में स्थित गुंबद के नीचे "ज्योतिर्लिंग" का मूल स्थान केंद्र में था और पहला सर्वेक्षण अधूरा था। जिला न्यायालय के 21 जुलाई, 2023 के आदेश के बाद एएसआई ने यहां काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर के पहले से मौजूद ढांचे के ऊपर किया गया था या नहीं। एएसआई ने 18 दिसंबर को एक सीलबंद लिफाफे में जिला अदालत को अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी थी। अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश तब दिया था जब हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया था।

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