मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी तीसरी पारी पूरी करने वाले हैं। उन्होंने अगले कुछ महीनों में होने वाले चुनाव में अपनी चौथी पारी की तैयारी में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। दरअसल, उनकी जीत दिल्ली की गद्दी के लिए भी बेहद जरूरी है, जिसके लिए अगले साल के शुरू में ही महाभारत होने वाला है। लेकिन किसानों की नाराजगी से लेकर कई ऐसे मसले हैं जिन पर विपक्षी कांग्रेस पूरी तरह हमलावर है। वे जन-आशीर्वाद यात्रा के जरिए लोगों से सीधा संपर्क साध रहे हैं। नरसिंहपुर जिले के तेंदूखेड़ा में जन-आशीर्वाद यात्रा के दौरान आउटलुक के संपादक हरवीर सिंह ने उनसे राज्य की राजनीतिक स्थिति, भाजपा की चुनावी रणनीति और सत्ता में वापसी को तत्पर विपक्षी कांग्रेस के तेज हमलों सहित तमाम मुद्दों पर बात की। कुछ अंश :
आपकी जन-आशीर्वाद यात्रा को दो से तीन महीने हो चुके हैं। इसकी प्रतिक्रिया कैसी रही?
प्रतिक्रिया बहुत अच्छी रही। लोगों का प्यार और आशीर्वाद मिल रहा है।
यह यात्रा कितने दिनों तक चलेगी?
पहले यह खत्म होनी थी 25 सितंबर से पहले। बीच में परिस्थितियां ऐसी बनीं कि आगे हम कर नहीं पाए। इस कारण अभी मुझे लगता है कि 15 अक्टूबर तक यह यात्रा चलेगी।
आप जनता के बीच जा कर इतनी बातें कर रहे हैं, तो इससे आपको फायदा मिलेगा?
भारतीय जनता पार्टी बहुत अच्छे बहुमत से सरकार बनाएगी। लोग हमारे साथ हैं।
क्या पिछली बार से ज्यादा सीटें जीत पाएंगे?
विधानसभा में पिछली बार से आगे भी जा सकते हैं। लोकसभा में भी हमने पिछली बार सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। हमारी कोशिश रहेगी कि हम लोकसभा की सारी सीटें जीत जाएं। पिछली बार 27 सीटें जीते थे। इस बार हमारा लक्ष्य सभी 29 सीटें जीतने का है।
आपने कई योजनाएं लागू कीं, जैसे लाडली योजना, कन्याओं के लिए योजना और आपकी एक छवि मामा की भी है। इसका कितना फायदा आपको मिलेगा?
प्रदेश में जो योजनाएं बनीं, वह वोट देख कर नहीं, लोगों और जनता की तकलीफ देखकर बनीं। अपनी जिंदगी में, मैंने जहां-जहां समस्याएं देखी, जनता की तकलीफ देखी, उसे दूर करने के लिए योजनाएं बनाईं। जैसे प्रसूति सहायता योजना इसलिए निकली कि गांव की गरीब महिला बेटा-बेटी को जन्म देने के बाद तुरंत मजदूरी के लिए चल पड़ती थी। लगा कि इनको भी आराम करने का हक है। लाडली लक्ष्मी इसलिए कि लोग बेटी को बोझ मानते थे। इसलिए जो योजनाएं बनीं, जनता की तकलीफ देखकर बनी।
प्रदेश में महिलाओं को लेकर अपराध काफी बढ़े हैं। इस पर विपक्ष भी काफी हमलावर है?
मध्य प्रदेश में महिला सशक्तिकरण और वेलफेयर को लेकर अद्भुत काम हुए हैं। कुछ चीजें और विकृतियां हैं, जिन पर काबू पाने और संस्कार देने के प्रयास करने पड़ेंगे। मध्य प्रदेश में हरेक घटना पर एफआइआर दर्ज होती है। अपराध कम करने का एक बड़ा सरल तरीका है कि आप आवेदन ले लो और एफआइआर दर्ज ही न करो। दूसरा, इस तरह की घटना को देखकर मध्य प्रदेश ही पहला राज्य था जिसने बेटियों के साथ दुराचार के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान किया। बाद में प्रधानमंत्री जी और पूरे देश ने स्वीकार किया। इसलिए कड़ी सजा, वेलफेयर की स्कीम और समाज सुधार, उसमें 'बेटी बचाओ' जैसे सारे प्रयास हमने पहले से चला रखे हैं।
लेकिन क्या अभी आप राज्य में कानून- व्यवस्था की स्थिति से संतुष्ट हैं?
देखिए, एक जमाना था जब मैं मुख्यमंत्री बना तो मध्य प्रदेश में डकैतों का आतंक था। सरेआम सामूहिक नरसंहार होते थे। अपहरण धंधा बन चुका था। एक तरफ डकैतों का आतंक था, दूसरी तरफ राज्य नक्सलवाद से प्रभावित था। हमने एक तरफ डकैतों का आतंक पूरी तरह समाप्त कर दिया। नक्सलवाद पूरी तरह से नियंत्रित है। सिमी के नेटवर्क को ध्वस्त किया है। जितनी भी इस तरह की समस्याएं थीं, उसे पूरी तरह समाप्त किया है। कुछ अपराध समाज में होते हैं, वे भी चिंता का विषय हैं। उन्हें रोकने के लिए कई प्रभावी व्यवस्था कर रहे हैं।
आज भी आपने किसानों के बारे में बात की कि इतना बोनस दिया, सस्ते कर्ज की बात की। इसके बावजूद पिछले साल किसानों का आंदोलन क्यों खड़ा हुआ और आपके एक पुराने सहयोगी भी एक तरह से आंदोलन के साथ हैं।
मैं उस पर बात नहीं करूंगा, लेकिन पूरे प्रदेश में पूछेंगे तो आपको पता लगेगा कि मेरे कार्यकाल में किसानों के लिए जितना हुआ है, पहले उतना नहीं हुआ। यह किसान भी मानते हैं और वे संतुष्ट हैं।
तो मंदसौर की घटना क्यों हुई? क्या राजनीतिक साजिश थी?
मैं यह कई बार बता चुका हूं। मंदसौर का आंदोलन कोई किसान आंदोलन नहीं था। इसके पीछे अलग तरह के लोग थे। राजनीतिक साजिश और भी कई चीजें थीं।
स्वर्णिम मध्य प्रदेश की बात हो रही है और आगे समृद्ध मध्य प्रदेश की भी, तो पहले से जो स्थिति है, उसमें आगे कितना सुधार आएगा?
देखिए, एक स्थिति से आगे बढ़कर हम यहां तक पहुंचे हैं। अब इससे आगे की मंजिल है हमारी। अब समृद्धि की तरफ मध्य प्रदेश को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इसका पूरा रोडमैप हमलोग बना रहे हैं। लोगों से सुझाव ले रहे हैं। आगे पांच साल में क्या करेंगे उसका खाका तैयार कर रहे हैं। बीमारू से विकासशील मध्य प्रदेश बना। विकासशील से विकसित के साथ समृद्धि की तरफ ले जाना है। यह हमारा लक्ष्य है और इसे पाने के लिए रोडमैप बना रहे हैं।
कांग्रेस कहती है कि राज्य की आर्थिक स्थिति काफी खऱाब है। राज्य पर कर्ज का बोझ ज्यादा है, तो उसे लेकर आपका क्या कहना है?
जब कोई और मुद्दा नहीं होता तो इस तरह की बात उठती है। भारत सरकार जो मापदंड तय करती है, कोई राज्य उसके हिसाब से ही कर्ज ले सकता है। कर्ज लेकर विकास करना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन निर्धारित सीमा में ही। कांग्रेस के जमाने में राजस्व के 100 में से 22 रुपये ब्याज में जाते थे, भाजपा राज में 100 में आठ रुपये ही ब्याज के मद में खर्च हो रहे हैं। रेवेन्यू बढ़ा है। हमारी जीडीपी बढ़ी है, तो कर्ज लेने की क्षमता भी बढ़ी है।
कहा जा रहा है कि उच्च जातियां नाराज हैं। समाज बिखरा है। आपकी पार्टी ने एससी-एसटी एक्ट में संशोधन किया है।
सामाजिक समरसता हमारा मूलमंत्र रहा है। सबको साथ लेकर हम आगे बढ़ेंगे। सबके साथ बात करके, सबको साथ लेकर चलना है। सामाजिक समरसता बिगड़ने नहीं देंगे।
आपको क्या लगता है, इस बार कांग्रेस कितनी बड़ी चुनौती है?
मुझे तो कुछ नहीं लगता।
कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष हैं। आप किसे पसंद करते हैं कमलनाथ या ज्योतिरादित्य को?
कमलनाथ जी पैसे खर्च कर रहे हैं और ज्योतिरादित्य मनमुदित रहते हैं। अलग-अलग हिस्सों में जाओ तो अलग-अलग सरकार दिख रही है। कहीं सिंधिया सरकार दिख रही है, तो कहीं कमलनाथ सरकार, तो उनका अपना खेल है, चलता रहता है।
कांग्रेस बीएसपी से गठबंधन की बात कर रही है, तो नए समीकरण से कुछ फर्क पड़ेगा?
कांग्रेस ने जहां-जहां तालमेल किया, अपने अंत की शुरुआत कर ली। आप पूरे देश का इतिहास देख लीजिए। आज उत्तर प्रदेश और बिहार में कांग्रेस की क्या हालत हो गई। तालमेल करने के मतलब दो ही हैं। एक कांग्रेस में वो कुव्वत नहीं रही है, दम नहीं रहा। और दूसरे कांग्रेस अपने आप को समाप्त करने की दिशा में बढ़ी है।
पार्टी ने आपको मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। मुख्यमंत्री रहते हुए करीब 13 साल हो गए। तो इसे लेकर आपकी अपनी छवि और मोदी जी की छवि में किसे ज्यादा प्रभावी आप मानेंगे? दोनों में कौन मध्य प्रदेश में ज्यादा लोकप्रिय है?
नरेंद्र मोदी जी। मोदी जी का कोई मुकाबला कर सकता है क्या?
एंटी इंकंबेंसी फैक्टर है या नहीं?
काम अगर होता है, तो एंटी इंकंबेंसी क्यों होगी? देखिए, कहीं किसी का व्यवहार ठीक नहीं है, तो कहीं कुछ। स्थानीय स्तर पर ऐसी चीजें होती हैं, लेकिन ओवरऑल ऐसा नहीं होता।
आपने कई सारी घोषणाएं की हैं। क्या ये व्यावहारिक हैं। कांग्रेस तो आपको घोषणावीर बता रही है।
ये केवल घोषणाएं नहीं हैं। हम लगातार काम कर रहे हैं। ये सब चीजें लोगों को दे रहे हैं। बिजली देना अब हमारा लक्ष्य है। अक्टूबर के बाद एक भी घर नहीं रहेगा, जहां बिजली न हो। पहले से योजनाएं चल रही हैं। ऐसा नहीं कि आज कर रहे हैं।
इतनी घोषणा कर रहे हैं, तो क्या आगे घोषणापत्र की जरूरत पड़ेगी भी या नहीं?
हम तो वह भी करते हैं जो घोषणा पत्र में नहीं होता है।