राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि राजनीतिक मुद्दा उठाने के लिए सदन की कार्यवाही के दौरान अमर्यादित व्यवहार लोकतंत्र की भावना पर आघात है। उन्होंने कहा कि आजकल सदस्य दूसरों के विचार सुनने को तैयार नहीं हैं।
धनखड़ ने एक परिचय कार्यक्रम में नए राज्यसभा सदस्यों से कहा, ‘‘आप दूसरों के विचारों से असहमत होने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन दूसरे दृष्टिकोण को नजरअंदाज करना संसदीय परंपरा का हिस्सा नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सदस्य अपने भाषण से एक मिनट पहले आते हैं और तुरंत चले जाते हैं।’’ राज्यसभा सभापति ने कहा कि सदस्यों को ‘‘हिट-एंड-रन’ वाली रणनीति नहीं अपनानी चाहिये।
धनखड़ ने कहा कि संसद संवैधानिक मूल्यों और स्वतंत्रता का केंद्र बिंदु रही है। उन्होंने कहा कि कई बार मुद्दे भी आए हैं, लेकिन सदन के नेताओं ने समझदारी का इस्तेमाल करते हुए रास्ता निकाला है।
उन्होंने सदस्यों से कहा, ‘‘लेकिन अब स्थिति चिंताजनक है। अमर्यादित व्यवहार को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो लोकतंत्र की भावना पर आघात है।’’
धनखड़ ने अपने भाषण में आपातकाल के दौर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अगर आपातकाल के दौर को छोड़ दिया जाए, तो संसद ने अच्छा कामकाज किया है। उन्होंने कहा, ‘‘जब आपातकाल की घोषणा की गई, तो वह एक दर्दनाक, हृदय-विदारक काला दौर था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आपातकाल के समय, हमारा संविधान सिर्फ एक कागज बनकर रह गया था। इसे टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया था और नेताओं को जेल में डाल दिया गया था।’’ धनखड़ ने कहा कि आपातकाल में ‘मीसा’ कानून का इस्तेमाल किया गया और लालू प्रसाद यादव ने तो अपनी बेटी का नाम मीसा भारती रख दिया।
मीसा भारती वर्तमान में राष्ट्रीय जनता दल की लोकसभा सदस्य हैं।