राष्ट्रीय राजधानी में सत्तारूढ़ आप और विपक्षी भाजपा के बीच रविवार को दक्षिणी दिल्ली के एक पार्क में छठ मनाने की व्यवस्था को लेकर वाकयुद्ध छिड़ गया। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर लोकप्रिय पूर्वांचली त्योहार की व्यवस्था में बाधा डालने का आरोप लगा रहे हैं।
यह मुद्दा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दिल्ली में बसे पूर्वांचली (उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के भोजपुरी भाषी लोग) एक प्रभावशाली वोट बैंक हैं, जिनकी राष्ट्रीय राजधानी में करीब 1.5 करोड़ वोटों में से 30 से 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी में होने हैं।
आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, जो खुद पूर्वांचली हैं, ने कहा कि भाजपा चिराग दिल्ली पार्क में व्यवस्था में बाधा डालकर "छठ मैया" का अपमान कर रही है। ग्रेटर कैलाश से आप विधायक और शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस मुद्दे पर नई दिल्ली की भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज पर निशाना साधा।
भारद्वाज ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने छठ के लिए सभी अनुमतियां दी और धन आवंटित किया, लेकिन भाजपा द्वारा लोगों को घाटों तक पहुंचने से रोका जा रहा है। स्वराज को चुनौती देते हुए आप नेता ने कहा, "उन्हें भगवद गीता की कसम खानी चाहिए कि यहां आठ साल से छठ नहीं मनाया गया है; हम विरोध प्रदर्शन खत्म कर घर चले जाएंगे।"
शनिवार को मंत्री ने धरना दिया और आरोप लगाया कि भाजपा नियंत्रित डीडीए पूर्वांचली लोगों को छठ घाट बनाने से रोक रहा है। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के एक अधिकारी ने कहा कि छठ उत्सव के लिए 6,000 वर्ग मीटर का क्षेत्र पहले ही अनुमति दे दिया गया है। भाजपा ने आरोप लगाया कि भारद्वाज और उनके लोग चिराग दिल्ली गांव के पास सतपुला डीडीए पार्क में व्यवस्थाओं में बाधा डाल रहे थे।
दिल्ली भाजपा के एक बयान में दावा किया गया कि स्वराज के हस्तक्षेप के बाद ही व्यवस्थाएं फिर से शुरू की जा सकीं। भारद्वाज पर पलटवार करते हुए स्वराज ने उन्हें "राजनीतिक छल और पाखंड का प्रतीक" कहा। उन्होंने आरोप लगाया, "उनका प्राथमिक एजेंडा झूठ और भ्रम फैलाना, नकारात्मक राजनीति में शामिल होना और आत्म-प्रचार के लिए अपने पद का दुरुपयोग करना है।"