अगरबत्ती और धूपबत्ती के धुएं में पाए जाने वाले पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) की वजह से अस्थमा, कैंसर, सरदर्द और खांसी की संभावना बढ़ जाती है। वहीं यदि अगरबत्ती खुशबूदार हो तो इससे घर की साफ हवा प्रदूषित हो जाती है और उसमें कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है।
यदि किसी को एलर्जी की समस्या है तो अगरबत्ती के धुएं के लगातार संपर्क में रहने से छींक आने या गले में खराश हो जाने की समस्या बढ़ सकती है। अगरबत्ती के धुएं से निकलने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड के कारण फेफड़ों की कोशिकाओं में सूजन आ सकती है। इससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है। जब भी सांस के साथ जरूरत से ज्यादा धुआं शरीर के अंदर जाता है तो कफ और सांस की समस्या होती है।
अगरबत्ती और धूपबत्ती में सल्फर डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन और फॉर्मल्डेहाईड मौजूद होते हैं। ये कण और गैस के रूप में मौजूद होते हैं। इनके संपर्क में अधिक समय तक रहने से अस्थमा और सीओपीडी जैसी श्वसन संबंधी समस्या हो सकती है।
अगरबत्ती का धुआं त्वचा और आंखों को भी नुकसान पहुंचाता है। आंखों में जलन और खुजली होने की भी संभावनाएं इस धुएं में मौजूद केमिकल के कारण हो सकती है। अगरबत्ती से निकलने वाला धुआं तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। इसके कारण सिरदर्द, ध्यान भटकने और भूलने की बीमारी हो सकती है।
लंबे समय तक अगरबत्ती का उपयोग करने से ऊपरी श्वांस नलिका का कैंसर होने का ख़तरा बढ़ जाता है। सल्फर डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन जैसे केमिकल श्वास नली को नुकसान पहुंचाकर संक्रमित कर देते हैं, इसके कारण ही कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।