संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने शनिवार को कहा कि सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित होने से विपक्ष को अधिक नुकसान होता है, क्योंकि वह सरकार को जवाबदेह ठहराने का महत्वपूर्ण अवसर खो देता है।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आयी है जब मानसून सत्र के पहले हफ्ते में विपक्षी सांसदों के बार-बार विरोध प्रदर्शन के कारण कोई विशेष कामकाज नहीं हो सका।
‘प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन’ द्वारा आयोजित संसद रत्न पुरस्कार समारोह में रीजीजू ने याद दिलाया कि कैसे नौकरशाह संसद स्थगित होने पर कभी-कभी राहत महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपको बता दूं कि जब संसद नहीं चलती तो अधिकारी राहत महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें सवालों से छुटकारा मिल जाता है। संसद में सरकार को जवाबदेह ठहराया जा सकता है। जब सदन चलता है, तो मंत्रियों को कठिन सवालों का सामना करना पड़ता है। जब सदन की कार्यवाही कुछ ही मिनट में स्थगित हो जाती है, तो वे सवाल भी नहीं उठते। संसद की कार्यवाही बाधित होने से सरकार से अधिक नुकसान विपक्ष को होता है।’’
रीजीजू ने कहा, ‘‘सदन की कार्यवाही बाधित करने वालों को लगता है कि वे सरकार को नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन वास्तव में, वे लोकतंत्र में अपनी भूमिका को कमजोर कर रहे होते हैं।’’
संसदीय जवाबदेही के महत्व पर जोर देते हुए मंत्री ने कहा, ‘‘किसी भी लोकतंत्र में, सरकार को संसद के माध्यम से जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। इसलिए, एक सुचारू लोकतंत्र के लिए सदन की कार्यवाही चलने देना जरूरी है।’’
संसद में अपने सफर पर रीजीजू ने कहा कि उन्होंने विपक्षी सांसदों को कभी विरोधी नहीं माना। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी सहयोगी हैं। 2014 से पहले, मेरा ज़्यादातर संसदीय जीवन विपक्ष की तरफ बीता है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता हो सकती है, लेकिन शत्रुता नहीं है।’’
रीजीजू ने कहा कि विकसित देशों के सांसदों की तुलना में भारतीय जनप्रतिनिधियों पर अनुचित बोझ है। उन्होंने कहा, ‘‘वहां एक सांसद लगभग 66,000 लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। यहां यह संख्या 20 लाख से ज़्यादा है। उनसे नालियों की मरम्मत या किसी को जेल से बाहर निकालने के लिए नहीं कहा जाता। लेकिन हमारे सांसद व्यक्तिगत शिकायतों, बुनियादी ढांचे और कानून प्रवर्तन के मुद्दों से निपटते हैं और उनसे सदन में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद की जाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन सबके बावजूद, उनकी अक्सर आलोचना होती है। हर निर्वाचित सांसद सम्मान का हकदार है, यह कोई आसान काम नहीं है।’’
रीजीजू ने अपने शुरुआती अनुभवों को याद करते हुए एक मजेदार लेकिन दिलचस्प किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं पहली बार लोकसभाध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी से मिला, तो मैं धूम्रपान करने वाले सांसदों के लिए एक कमरा मांगने गया था। उन्होंने मुझे डांटते हुए कहा, ‘यह लोकसभाध्यक्ष से तुम्हारी पहली मुलाक़ात है और तुम इसके लिए आए हो?’ उस दिन मुझे अच्छी डांट पड़ी और मैंने सीखा कि मुझे ऐसे पद पर बैठे व्यक्तियों से उद्देश्यपूर्ण तरीके से सम्पर्क करना चाहिए।’’
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेताओं ने शिष्टाचार की मिसाल कायम की। उन्होंने कहा, ‘‘उस समय, हम बोलने से पहले दो बार सोचते थे क्योंकि दिग्गज लोग सुन रहे होते थे। अब व्यवधान पहले दिन से ही शुरू हो जाते हैं। शायद सोशल मीडिया की वजह से चीजें बदल गई हैं।’’
अधिक रचनात्मक मीडिया रिपोर्टिंग का आह्वान करते हुए, रीजीजू ने कहा, ‘‘पहले, पत्रकार सुबह नौ बजे आते थे और रात तक संसदीय बहसों को कवर करते थे। अच्छे भाषणों को कवरेज मिलती थी। आज, सुर्खियां इस बात पर बनती हैं कि सबसे ज़्यादा हंगामा किसने किया। मुझे याद है कि शरद पवार ने एक बार एक बेहतरीन कृषि नीति पेश की थी, लेकिन अगले दिन किसी भी अखबार ने उसका उल्लेख नहीं किया। इसलिए अब, सांसद सुर्खियों के पीछे भागते हैं क्योंकि अच्छे काम की न तो रिपोर्टिंग होती है और न ही उसे पहचान मिलती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नकारात्मक खबरें टीआरपी बढ़ाती हैं, रचनात्मक कार्रवाई नहीं। यह एक दुष्चक्र है – जिसमें सांसद और मीडिया, दोनों फंसे हुए हैं।’’
रीजीजू ने इस वर्ष के संसद रत्न पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी लोगों को बधाई दी, जिनमें सुप्रिया सुले, भर्तृहरि महताब, एन के प्रेमचंद्रन और श्रीरंग अप्पा बार्ने शामिल हैं। इन लोगों को 16वीं, 17वीं और वर्तमान लोकसभा में लगातार अच्छे प्रदर्शन के लिए विशेष जूरी पुरस्कार मिले।
रीजीजू ने कहा, ‘‘जब भी किसी सांसद को अच्छे काम के लिए सम्मानित किया जाता है, तो हमें पार्टी लाइन से ऊपर उठकर, एक साथ जश्न मनाना चाहिए।’’
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘जो लोग बाबासाहेब आंबेडकर के अनुयायी होने का दावा करते हैं, वे विदेशों में देश के खिलाफ बोलकर देश को बदनाम करते हैं।’’