रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि यूक्रेन में ताजा हालात की जड़ें सोवियत के बाद की राजनीति, उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के विस्तार और रूस एवं यूरोप के बदलते संबंधों में हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पेरिस में एक थिंक टैंक के साथ विचार-विमर्श के दौरान कहा कि दुनिया इस वक्त ‘‘कई संकटों’’ से जूझ रही है और इन घटनाक्रमों ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए नई चुनौतियां पैदा कर दी हैं।
इस बीच, फ्रांस के दैनिक समाचार पत्र ‘ले फिगारो’ में सोमवार को प्रकाशित एक इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन के हालात पिछले 30 वर्ष से ज्यादा वक्त में उत्पन्न हुईं परिस्थितियों की जटिल श्रृंखला का नतीजा हैं और ज्यादातर देश इस संकट का कूटनीतिक हल चाहते हैं।
‘फ्रेंच इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस’ में अपने संबोधन के दौरान एस जयशंकर ने भारत-फ्रांस संबंधों में तेजी से हुए विस्तार की भी चर्चा की और कहा कि भारत समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक और साइबर से लेकर महासागरों तक असंख्य सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने में फ्रांस को एक "विश्वसनीय" भागीदार के रूप में देखता है।
भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों की चर्चा करते हुए मंगलवार को कहा कि व्यापक शक्ति एवं मजबूत क्षमता के साथ ‘‘जिम्मेदारी एवं संयम’’ होना चाहिए और यह सुनिश्चित होना चाहिए कि अर्थव्यवस्था दबाव से तथा राजनीति बल प्रयोग के खतरों से मुक्त रहे।
हिन्द प्रशांत पर यूरोपीय संघ (ईयू) के मंत्रिस्तरीय मंच को संबोधित करते हुए जयशंकर ने 27 देशों के समूह को सचेत किया कि क्षेत्र में पेश आ रही चुनौतियां यूरोप तक भी पहुंच सकती हैं क्योंकि दूरी इसका कोई बचाव नहीं है। उन्होंने क्षेत्र की चुनौतियों से सामूहिक रूप से निपटने के अहमियत को रेखांकित किया ।