विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने यूक्रेन विवाद पर पश्चिमी देशों और रूस के बीच बढ़ते मतभेदों की पृष्ठभूमि में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान कोई संयुक्त बयान जारी किए जाने को लेकर कोई अटकल लगाने से बुधवार को इनकार कर दिया।
जी-20 विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक बुधवार शाम से शुरू होने वाली है और मुख्य चर्चा बृहस्पतिवार को होगी। क्वात्रा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘बैठक के निष्कर्ष के बारे में पहले से अनुमान लगाना ठीक नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष की मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस विषय पर चर्चा होने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक एवं विकास सहयोग में रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव हमारे लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
उन्होंने कहा कि बैठक में बहुपक्षवाद, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, विकास सहयोग, आतंकवाद से निपटने जैसे मुद्दों पर विचारविमर्श किया जाएगा।
क्वात्रा ने कहा कि यह, जी-20 समूह के किसी अध्यक्ष देश की मेजबानी में विदेश मंत्रियों का सबसे बड़ा जमावड़ा होगा। उन्होंने कहा कि करीब 40 प्रतिनिधिमंडलों के, जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने की संभावना है जिनमें से 13 प्रतिनिधिमंडल अंतरराष्ट्रीय संगठनों से होंगे।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, फ्रांस की विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना, चीन के विदेश मंत्री किन गांग, जर्मनी की एनालेना बेयरबॉक और ब्रिटिश विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली भारत की मेजबानी में आयोजित बैठक में हिस्सा लेने वालों में शामिल हैं।
भारत के निमंत्रण पर अतिथि के तौर पर श्रीलंका और बांग्लादेश सहित कुछ गैर जी-20 देशों के भी विदेश मंत्री बैठक में शामिल होंगे।
विदेश मंत्रियों द्वारा, आर्थिक वृद्धि में गिरावट, बढ़ती महंगाई, वस्तुओं और सेवाओं की कम मांग के साथ-साथ भोजन, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों से निपटने के तरीकों पर भी चर्चा करने की संभावना है।
हालांकि, यूक्रेन संघर्ष का मुद्दा पश्चिमी देशों और रूस-चीन गठजोड़ के बीच टकराव का मुख्य विषय हो सकता है। वहीं, भारत इस महत्वपूर्ण बैठक के बाद एक संयुक्त बयान लाने के लिए हर तरह का प्रयास करने को तैयार है।