अक्सर वयस्कों की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के लिए कैफीन को जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन एक नया शोध बताता है कि कैफीन से अजन्मे बच्चे पर भी खतरा आ जाता है।
कुछ लोगों पर नजर रख कर इस अध्ययन को अंजाम दिया गया। इसमें पाया गया कि कम से लेकर बहुत ज्यादा तक कैफीन लेने से गर्भ में पल रहे शिशु के वजन में ज्यादा बढ़ोतरी को जिम्मेदार माना गया।
इससे मिले परिणाम के बाद गर्भवती महिलाओं के लिए एक सामान्य सलाह जारी की गई कि वे इस दौरान कैफीन की मात्रा कम कर दें।
कैफीन प्लेसेंटा सहित ऊतकों के माध्यम से तेजी से गुजरता है और यदि महिला गर्भवती है तो कैफीन शरीर में लंबे समय तक बना रहता है। कई बार कैफीन का प्रभाव ज्यादा देर तक बने रहने के कारण गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है या यह भ्रूण विकास में भी बाधक हो सकता है।
शोधकर्ता का मकसद यह जानना और पता करना था कि गर्भावस्था के दौरान कि क्या कैफीन के अत्यधिक सेवन से शुरुआती सालों में बच्चों का वजन बढ़ने के पीछे का भी क्या इससे संबंध है।
22 हफ्ते की गर्भवती माताओं से एक प्रश्नावली के माध्यम से 225 खाद्य पदार्थों की सूची में खाने और पीने की वस्तुओं में कौन सा खाद्य पदार्थ कितनी मात्रा में लेतीं है इसे अलग-अलग बताने को कहा गया। इसमें कैफीन भी शामिल था। कैफीन के स्रोत में कॉफी, ब्लैक टी, कैफीनेटेड सॉफ्ट या एनर्जी ड्रिंग, चॉकलेट, चॉकलेट मिल्क, सैंडविच स्प्रैड और केक जैसी मिठाइयों को रखा गया था। फिर उनके बच्चों का वजन, ऊंचाई और शरीर की लंबाई को 11 बार बिंदुओं पर मापा गया। जब वे 6 सप्ताह के थे; 3, 6, 8, और 12 महीने में। फिर 1.5, 2, 3, 5, 7, और 8 वर्ष की उम्र में।
इनमें आधी से ज्यादा मां बनने वाली महिलाओं (46 प्रतिशत) को कम कैफीन लेने वाली श्रेणी में रखा गया, 44 प्रतिशत महिलाओं को औसत और 7 प्रतिशत महिलाओं को उच्च और 3 प्रतिशत महिलाओं को सबसे ज्यादा कैफीन लेने वाली महिलाओं में बांटा गया।
इसके नतीजों से निष्कर्ष निकला कि गर्भावस्था के दौरान कैफीन का उपयोग कम से कम करना चाहिए। यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान कैफीन लेना बिलकुल बंद कर दे तो यह और अच्छा होता है। यह अध्ययन बीएमजे ओपन के ऑनलाइन में प्रकाशित हुआ है।