तब आप अपनी खूबसूरती को इसी तरह बनाएं रखकर अर्थपूर्ण ढंग से जी सकती हैं। जी हां, खूबसूरती की चाहत रखने वाले सभी लोगों के लिए खुशखबरी है। अब वैज्ञानिक अध्ययनों ने ‘बढती उम्र के लक्षणों‘ से जुडी कई जानकारियों को मिथक करार दिया है। अब शरीर के ढ़लती उम्र के लक्षणों को कम करके लोग खूबसूरत खुशहाल जिंदगी बिता सकते है और अपने समुदाय में स्थिरता से जीवन जीने की उम्मीद पेश कर सकते है। बढ़ती उम्र के 5 मुख्य लक्षण होते है जिसमें सूखी त्वचा, रंग का नीरस होना, चेहरे पर लकीरें आना व झुर्रियां होना, त्वचा में कसाव कम होना और झाइयां होना शामिल है।
बढ़ती उम्र में त्वचा की कोशिकाओं व उनके अतिरिक्त सेल्लुर सपोर्ट मैट्रिक्स पर समय और पर्यावरणीय कारक मिलकर सबसे ज्यादा प्रभाव डालते है। शरीर की कोशिकाएं रोज़ाना अपनी ही प्रतिकृतियां बनाती है। यह बिल्कुल वैसी ही प्रक्रिया है जिसमें एक अंडे से इंसान की त्वचा, बाल, रक्त कोशिकाएं और कुछ अंदरूनी अंग लगातार विकसित होते रहते है। ये क्लिनिकल और जैविक दो अलग प्रक्रियाएं है जिसमें त्वचा की संरचना और उसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। लेकिन हालिया अध्ययनों से साबित हुआ है कि बढ़ती उम्र की त्वचा की प्रक्रिया में इन दोनों प्रक्रियाआंे का समान बाॅयोकेमिकल और मोलीक्यूलर रास्ता है जिसमें न्यूकलियर और क्षतिग्रस्त माइटोकाॅन्ड्रियल डीएनए, विकास कारकों में निष्क्रियता, मैट्रिक्स प्रोटीन का टूटना और लिपिड झिल्ली की क्षति शामिल है।
बढ़ती उम्र में त्वचा के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए ग्रोथ फैक्टर की जरूरत होती है और अंतः विकसित कारकों व उसकी गतिविधियों के स्तर को बढ़ती उम्र की त्वचा में कमी करने के लिए जाना जाताहै। बढ़ती उम्र के लक्षणों को उलट करने के लिए तार्किक दृष्टिकोण ये है कि त्वचा में खुद ही अपनी मरम्मत करने की क्षमता हो और सप्लीमेंट के माध्यम से मरम्मत करने की इस प्रक्रिया को अधिक बेहतर बनाया जा सके। सप्लीमेंट में वह सभी जरूरी घटक है जो बढ़ती उम्र के चलते खत्म हो जाते है। विकास के कारक यानि कि ग्रोथ फैक्टर और साइटोकाइंस के इस्तेमाल से त्वचा पुन जीवित हो जाती है और बढ़ती उम्र की त्वचा को फिर से खूबसूरत बनाने में ये इलाज बहुत कारगर साबित हो रहा है। विभिन्न क्लिनिकल परीक्षणों से साबित हुआ है कि जब भी इसे लगाया जाता है तो ये बढ़ती उम्र की त्वचा के लक्षणों को कम करने में बहुत प्रभावी है। विकास के ये कारक यानि कि ग्रोथ फैक्टर त्वचा पर बहुत ही सकारात्मक तरीके से काम करते है और चेहरे की बारीक लकीरों और झुर्रियों को कम करने में मदद करते है। ये त्वचा को कसावट, चमक बढ़ाते, धब्बों को हल्का करके त्वचा में नमी प्रदान करते है।
डाॅ विकास कपूर, कंसल्टेंट, एमडी डीवीडी पीएन, बहल स्किन इंस्टीटयूट स्पष्ट करते हुए कहते हैं,‘‘ जब हम बच्चे होते है तो हमेशा चाहते है कि जल्दी से बड़े हो जाएं और जब हम 30 की उम्र के पड़ाव पर पहुंचते है तो चाहते है कि उम्र रूक जाएं। हम बौद्विक व परिपक्वत होना चाहते है लेकिन ये परिपक्वता हमारे चेहरे पर नहीं आने देना चाहते। हालांकि बढ़तीउम्र के लक्षण हमारी त्वचा पर दिखने का कारण प्रदूषण, जीन, उम्र और अन्य कारक होते है। याद करिए जब बचपन में आपको कोई चोट लगती थी तो वह बिना कोई दाग छोड़े खुद ही ठीक हा ेजाती थी लेकिन अब बढ़ती उम्र में ये जख्म दाग छोड़कर जाते है। इसलिए बढ़ती उम्र को विकास के कारक यानि कि ग्रोथफैक्टर की जरूरत होती है। कई अनुसंधानों से भी साबित हुआ है कि ग्रोथ फैक्टर में कोलेजन उत्पादन की क्षमता होती है और ये अन्य सुधारों के साथ जख्म को स्वस्थ करने में भी सहायक होते है।‘‘
डाॅ चिरंजीव छाबरा, डायरेक्टर, चीफ डर्माटोलाॅजिस्ट, स्किन अलाइव.... कहते है, ‘‘ आज के समय में न सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरूष भी हमेशा युवा और ऊर्जावान दिखना चाहते है और ये सब हमारे खानपान और शारीरिक गतिविधियों पर भी निर्भर करता है।‘‘ सबसे सशक्त एंटी एजिंग घटक इपिडरमल ग्रोथ फेक्टर यानि कि ईजीएफ उपलब्ध है। मज़ेदार बात ये है कि पशु अपने जख्मों को जीभ से चाटते है क्योंकि उनकी लार में उच्च मात्रा में ईजीएफ होता है और ग्रोथ फैक्टर या साइटोकाइंस या इंसान के कंडीशनड मीडिया या मानवस्टेमसेल प्राकृतिक रूप से प्रोटीन उत्पन्न करते है जो कोशिकाओं को कई गुणा बढ़ाते है और ये दूसरी कोशिकाओं से अलग करते है। ग्रोथ फैक्टर कोशिकाआंे की सतह को विशिष्ट रीस्पेटर में बांधते है।