गौरतलब है कि आज से करीब 12 वर्ष पहले चीन में इलेक्ट्रिक सिगरेट का आविष्कार किया गया था जिसमें बिना निकोटिन को जलाए और धुआं छोड़े सिगरेट का आनंद लिया जा सकता है। यह बैटरी चालित एक ऐसा उपकरण है जिसमें तरल रूप से निकोटिन रहता है और बैटरी से मिलने वाली ऊर्जा के जरिये उसे भाप में बदलकर इस्तेमाल किया जाता है।
देश में डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि वह सिगरेट के विकल्प के रूप में ई सिगरेट के इस्तेमाल की निंदा करती है। संस्था के मानद महासचिव पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल के अनुसार ई सिगरेट में जो तरल पदार्थ इस्तेमाल किया जाता है उसमें क्रोमियम, निकेल, टिन और शीशे जैसे हानिकारक पदार्थ पाए गए हैं। हालांकि इसमें सामान्य सिगरेट के धुएं में पाए जाने वाले कार्बन मोनोक्साइड, ऑक्सीडेंट गैस और टार जैसे तत्व नहीं होते हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि भले ही ई सिगरेट वास्तविक सिगरेट से कम नुकसानदेह माना जा रहा हो मगर यह बात दावे से नहीं कही जा सकती। एक बयान में डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि ई सिगरेट के इस्तेमाल को भी बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। हालांकि स्थिति यही है कि पूरी दुनिया में ई सिगरेट का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। डॉ. अग्रवाल के अनुसार सिगरेट की लत छुड़ाने के लिए इससे बेहतर कई उपाय पहले से मौजूद हैं और लोगों को उनका इस्तेेमाल करना चाहिए।