अर्पिता मुखर्जी, सौविक दत्ता और तनु एम गोयल द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिदिन फलों और सब्जियों का औसत सेवन 3.5 प्रतिशत है, जिसमें फल 1.5 तथा सब्जियों का हिस्सा 2 प्रतिशत है। युवा पीढ़ी फलों व सब्जियों के सेवन की दर काफी कम है। 18-25 वर्ष की युवा पीढ़ी में यह दर केवल 2.97 प्रतिशत सर्विंग प्रतिदिन है। जबकि 18.35 आयु वर्ग में यह 3.3 प्रतिशत सर्विंग प्रतिदिन है। रिपोर्ट के मुताबिक विद्यार्थियों के बीच औसत सेवन दर काफी कम है। यह 2.94 सर्विंग प्रतिदिन है। फलों और सब्जियों के सेवन में गृहणियों की स्थिति बेहतर है। काम करने वाले व्यक्ति की 3.5 सर्विंग प्रतिदिन की तुलना में यह 3.65 प्रतिदिन है। भारत में पोषकतत्व वाले अनुपूरकों का इस्तेमाल भी काफी कम है। पोषण अनुपूरक उपभोगकर्ता प्रतिक्रियादाताओं का यह सिर्फ 21.2 प्रतिशत है। नई दिल्ली, नोएडा, गुड़गांव सहित देश के प्रमुख शहरों में किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक जीवनशैली के कारण शरीर में पोषक तत्वों की मात्रा को आदतन लोग कम कर रहे हैं।
प्रोफेसर व रिपोर्ट की लेखिका अर्पिता मुखर्जी के मुताबिक फल और सब्जियां पादप पोषकतत्वों का मुख्य स्त्रोत हैं, जिन्हें ऐसे पोषकतत्वों से परिभाषित किया जा सकता है, जो स्वास्थ लाभ प्रदान करने के लिए वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध हैं। भारत में पोषकतत्वों से युक्त उत्पादों और फूड सप्लीमेंट के संबंध में कोई नियामक नहीं है। भारतीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद के संचालक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रजत कथूरिया ने कहा कि खाद्य आपूर्ति संरचना में अंतराल को पहचानने की आवश्यकता है और उचित संरचनात्मक ढांचा तैयार करने के लिए नीती पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सरकार भी स्टेट-ऑफ द आर्ट उत्पाद जांच प्रयोगशाला, इत्यादि के लिए गुणवत्ता के साथ कार्य कर रहे निजी क्षेत्र द्वारा खाद्य प्रसंस्करण करने वालों की मदद कर सकती है। एपीएमसी से फलों व सब्जियों को हटाना चाहिए ताकि कोई एपीएमसी का कोई कर न रहे और एक राज्य से दूसरे राज्य में होने वाली फलों व सब्जियों की आवाजाही पर प्रतिबंध समाप्त किया जाना चाहिए।
आईआईएम बैंगलोर के असिस्टेंट प्रोफेसर सौविक दत्ता ने बताया कि सर्वे के दौरान जब प्रतिक्रिया देने वालों से पूछा गया कि वे ताजे फल और सब्जियां क्यों नहीं लेते हैं, तो युवा भारतीयों ने इसके लिए इस साल हुए लीची के मामले का उदाहरण देते हुए कीटनाशकों को इसका कारण बताया। इसके बाद आय की भूमिका अहम है- प्रतिदिन औसत सेवन दर उच्च आय समूह के लिए अधिक है। आईसीआरआईईआर, सलाहकार तनु एम गोयल ने बताया कि पिछले दशक में फलों और सब्जियों की उत्पादकता में बहुत थोड़ा सुधार आया है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य भारत में फलों व सब्जियों के वास्तविक उपभोग के तरीके का समझाना तथा डब्लूएचओ की अनुशंसित मात्रा से इसकी तुलना करना है।