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विटामिन डी से लाभ के दावों पर उठे सवाल

यह तो सब को पता ही है कि सूर्य की किरणें विटामिन डी का सीधा स्रोत हैं। वर्तमान में जो जीवनशैली लोग अपनाए हुए हैं उसमें अधिकांश लोगों में विटामिन डी की कमी हो जाती है क्योंकि सूर्य की सीधी रोशनी लोगों के शरीर को कम ही छूती है।
विटामिन डी से लाभ के दावों पर उठे सवाल

ऐसे में अक्सर डॉक्टर आपकी विटामिन डी की जांच कराने को कहते हैं जो देश के निजी प्रयोगशालाओं में काफी महंगी पड़ती है। अकसर इस जांच के लिए 1200 से 2000 रुपये तक ले लिए जाते हैं। अगर विटामिन डी तय मानक से कम पाया गया तो डॉक्टर आपको अलग से इसका सेवन करने की सलाह देते हैं। अब एक अध्ययन ऐसा हुआ है जो विटामिन डी से होने वाले लाभों पर सवाल उठाता है। आस्ट्रेलिया के मेलबर्न में हुए इस अध्ययन में यह तो साबित हुआ है कि विटामिन डी कैल्सियम के साथ मिलकर टूटी हड्डी को जल्दी जोड़ने में मदद करता है मगर इसके अन्य लाभों के बारे में कोई खास सबूत सामने नहीं आए हैं। यह भी पता चला है कि लोगों को अनावश्यक रूप से इसकी खुराक दी जाती है।

एबीसी न्यूज ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि ऑस्ट्रेलिया में दो अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि विटामिन डी की कमी और कैंसर, मधुमेह तथा संक्रमणों के बीच कोई संबंध स्थापित करने के लिए आगे और अध्ययनों की आवश्यकता है। अध्ययन रॉयल पर्थ अस्पताल के रोग निदान सलाहकार एवं एंडोक्राइनोलॉजिस्ट पॉल ग्लेंडनिंग तथा यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के शोधार्थी गेरार्ड च्यू ने किया। ग्लेंडनिंग ने कहा कि यह संभव है कि लोगों की विटामिन डी की अनावश्यक जांच की जा रही हो और कम विटामिन डी होने के लिए अनावश्यक रूप से उपचार किया जा रहा हो। यह अध्ययन रिपोर्ट मेडिकल जर्नल ऑफ ऑस्ट्रेलिया में प्रकाशित हुई है। ग्नलेंडनिंग ने कहा कि उन्हें अपने अध्ययन में विटामिन डी के कुछ स्पष्ट लाभ दिखाई दिए हैं। उन्होंने कहा कि विटामिन डी के साथ मिलकर कैल्शियम टूटी हड्डी को जोड़ने में मदद करता है।

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