सरकार ने स्पष्ट किया कि किराये की कोख (सेरोगेसी) के लिए भारत आने वाले विदेशी नागरिकों के लिए नियमों को कठोर बनाया गया है। सेरोगेसी के मकसद से आने वाले उन्हीं विदेशी दंपतियों को देश में आने की अनुमति मिलेगी जिनका उपयुक्त ढंग से विवाह हुए दो वर्ष बीत चुके हों। गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नए दिशा निर्देशों के तहत किराए की कोख के मकसद से भारत आने वाले विदेशी नागरिकों की उपयुक्त वीजा श्रेणी अब चिकित्सा वीजा की श्रेणी में होगी।
उन्होंने कहा कि ऐसे मामले में यह सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा कि किराये की कोख देने वाली मां के साथ धोखाधड़ी न हो। लिहाजा यह वीजा तभी प्रदान किया जाएगा जब विदेशी दंपति उपयुक्त रूप से विवाहित हों और विवाह कम से कम दो साल से कायम हो।
मंत्री ने कहा कि ऐसे दंपति को यह हलफनामा देना पड़ेगा कि किराये की कोख से उत्पन्न होने वाले बच्चे का वह ध्यान रखेंगे। उन्हें आवेदक दंपति एवं किराये की कोख वाली संभावित भारतीय मां के बीच हुए समझौते को पेश करना होगा जो नोटरी द्वारा प्रमाणित होना चाहिए।
ज्ञात हो कि भारत किराये की कोख के मामले में केंद्र बनता जा रहा है। भारत के गुजरात राज्य का आणंद सेरोगेसी का सबसे बड़ा बाजार है। आणंद में हर साल देश-विदेश से लाखों महिलाएं सेरोगेसी के लिए आती हैं। यहां कई केंद्र हैं जो ऐसी महिलाएं उपलब्ध कराते हैं, जो अपनी कोख में दूसरों के बच्चे रखती हैं और उसके एवज में उन्हें एक निश्चित राशि प्रदान की जाती है। कई बार पैसे के लेन-देन में या सेरोगेसी करा रहे दंपति में मनमुटाव हो जाने से गर्भस्थ शिशु का भविष्य खतरे में पड़ जाता है।