एक अध्ययन के नतीजों में कहा गया कि हम रासायनिक यौगिकों या रासायनिक सिग्नलों को पैदा करते हैं। तो जब हम खुशी महसूस करते हैं तो हमारी पहचान लोग हमारे पसीने की गंध से कर सकते हैं। पिछले शोधों ने दिखाया गया है कि डर और अपमान से जुड़ी नकारात्मक भावनाओं का संचार पसीने की रासायनिक संरचना में पहचानी जा सकने वाली अनियमितताओं के जरिये हो जाता है। वहीं कुछ अध्यनों में इस बात की जांच की गई है कि क्या इसी तरह का संचार सकारात्मक भावनाओं के लिए भी होता है?
नीदरलैंड में उटेश्ट यूनिवर्सिटी में मनोवैज्ञानिक और इस अध्ययन के वरिष्ठ शोधकर्ता गन सेमिन ने कहा, ‘हमारा अध्ययन दर्शाता है कि खुशी की अवस्था में बने पसीने के संपर्क में आने से इसे सूंघने वाले लोगों में भी खुशी का बहाव होता है और इससे इस भावनात्मक अवस्था का संचार होता है।’
सेमिन ने कहा, इसका अर्थ यह है कि जो व्यक्ति खुश है, वह अपने संपर्क में आने वाले दूसरे लोगों में भी खुशी का संचार करेगा। इस तरह से पसीना भी मुस्कुराहट की ही तरह सकारात्मक संकेत देता है। यह अध्ययन साइकोलाॅजिकल साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ।