अध्ययन में फिलीपींस, रूस और दक्षिण अफ्रीका में भी कुछ इसी तरह के इजाफे की आशंका जताई गई है। अध्ययन के अनुसार, रूस में टीबी के एक तिहाई मामले ड्रग रेसिस्टेंट होने की आशंका है, इसकी तुलना में भारत और फिलीपींस में वर्ष 2040 तक 10 में से एक मामला ड्रग रेसिस्टेंट का हो सकता हैं जबकि दक्षिण अफ्रीका में यह अनुपात 20 में से एक मामला हो सकता है। क्षय रोग या टीबी बैक्टीरिया के संक्रमण से होने वाली बीमारी है, जिसका उपचार एंटीबायोटिक दवाओं के संयोजन से होता है।
एंटीबायोटिक के इस्तेमाल एवं गलत इस्तेमाल - जैसे कि गलत दवाओं का इस्तेमाल, या चिकित्सक के परामर्शानुसार तय समय तक उपचार नहीं करने से बैक्टीरिया दवा प्रतिरोधक बन सकता है। बहरहाल, अध्ययन में यह भी संकेत दिया गया है कि बेहतर उपचार कार्यक्रमों से उक्त देशों में ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी की दर में कमी आ सकती है मगर ये देश अकेले इस समस्या को खत्म नहीं कर पाएंगे क्योंकि मौजूदा प्रयास इसके प्रसार को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
अध्ययन में ड्रग-रेसिस्टेंट बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए अतिरिक्त नियंत्रण उपाय के संदर्भ में अनुसंधान का आह्वान किया गया है। यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के आदित्य शर्मा ने कहा, संक्रमण के चक्र को तोड़ने के प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता है और ऐसे मामलों का पता लगाने के साथ संक्रमित मरीजों के उपचार के प्रयासों में तेजी लानी होगी।(एजेंसी)