एक अंग्रेजी दैनिक की रिपोर्ट में कहा गया है कि मरीजों का परीक्षण और इलाज आधार की वजह से प्रभावित नहीं होगा लेकिन यदि मरीज द्वारा अस्पताल से नकद के मामले में कोई छूट चाहेंगे तो आधार नंबर जरूरी होगा। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि झूठे दावों, सही व्यक्ति तक नकद की छूट का लाभ न पहुंचने की वजह से यह कदम उठाया गया है। वैसे कागजों में तो यह योजना काफी अच्छी लग रही है लेकिन इसे लागू करने में बहुत सी चुनौतियां होंगी। मरीज के तीमारदारों को ऐसे किसी फायदे की योजना के बारे में जानकारी के अभाव में संभवतः सही लोगों तक यह फायदा पहुंच ही न पाए।
जिस भारत में नेटवर्क के लिए पेड़ पर चढ़ना पड़ता हो, पीडीएस स्कीम का राशन सही लोगों तक न पहुंचता हो वहां एक और योजना में आधार लागू करने से पहले ग्राउंड चैक करना बहुत जरूरी है। पूरी दुनिया में हर साल लगभग 1.8 मिलियन लोग टीबी के कारण दम तोड़ देते हैं। इनमें से आधी संख्या भारत के लोगों की होती है।