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फास्ट फूड से मुकाबला करेगा पारंपरिक भोजन

फास्ट फूड के खिलाफ दुनियाभर में शुरू हुई जंग ने अब भारत में भी दस्तक दे दी है और इसकी शुरआत कल से मेघालय की राजधानी शिलांग में एक स्लो फूड यानि पारंपरिक आहार कार्यक्रम के आयोजन से होने जा रही है।
फास्ट फूड से मुकाबला करेगा पारंपरिक भोजन

आहार समुदायों के एक नेटवर्क द्वारा आयोजित इंडीजीनस टेरा मेडे (आईटीएम) ने पांच दिन चलने वाले कार्यक्रम से पहले मेघालय के मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने यहां मेघालय हाउस में इस कार्यक्रम की मेजबानी की।

टेरा मेडे का मतलब है, मदर अर्थ। यह जैव संवर्धित आहार के विरोध, जल अधिकारों और पारंपरिक आहार संस्कृतियों पर भूमंडलीकरण के प्रभाव जैसे विषयों पर केंद्रित सेमिनार करता है।

इंटरनेशनल स्लो फूड मूवमेंट के संस्थापक कार्लो पेटिनी ने कहा, बड़े निगम हमारे आहार समुदाय को नष्ट कर रहे हैं। इसे बदलना चाहिए। इसकी वजह से विभिन्न समुदायों से 50 करोड़ से ज्यादा लोग त्रस्त हैं।

आईटीएम-2015 मेघालय के 41 गांवों की भागीदारी से आयोजित किया जा रहा है। संगमा ने कहा, हमारे खुद के देश में बहुत से लोग मेघालय और शिलांग के बारे में नहीं जानते। इसलिए मैं चाहता हूं कि लोग यहां आएं और खुद के अनुभव सृजित करें। मेघालय और पूर्वोत्तर के पास देने के लिए बहुत कुछ है। इसलिए लोग आएं और देखें।

जनजातियों के सम्मान में आयोजकों ने आयोजन को नया नाम इंटरनेशनल मेइ-रामेव दिया है जिसका मतलब खासी भाषा में धरती मां होता है।

छोटे किसानों और आहार समुदायों के महत्व पर जोर देते हुए पेटिनी ने कहा, यह समय है जब हम सब उनकी कही बातें सुनें। उन्होंने कहा, यह स्थानीय समुदाय है जो असल आधुनिकता का प्रतिनिधित्व करता है।

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