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ग्राफिक विवाद के बाद लोकमत अखबार पर हमला

महाराष्ट्र के अखबार में रविवार को निकलने वाले सप्लीमेंट मंथन पेज पर एक लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख को लेकर एक समुदाय में गुस्सा बढ़ गया और अखबार के कार्यालय में तोड़ फोड़ हुई।
ग्राफिक विवाद के बाद लोकमत अखबार पर हमला

घटना रविवार की है, लेकिन इस खबर को मीडिया में कहीं न दिखाए जाने को लेकर फेसबुक और दूसरी सोशल साइट्स पर लोगों का गुस्सा फूट रहा है। लोकमत अखबार मेंपवन देशपांडे ने 'इसिसचा पैसा' (आईसिस का पैसा) शीर्षक से लेख लिखा। इस लेख के साथ एक चित्र भी प्रकाशित किया गया। चित्र में पैसे को दिखाने के लिए पिगी बैंक यानी बच्चों के इस्तेमाल का गुल्लक दिखाया गया। इस गुल्लक पर आइएसआइएस का लोगो था जिस पर अरबी में कुछ पंक्तियां हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह अरबी में अल्लाह लिखा है।

 

 

इसके बाद मुस्लिम समुदाय की भावनाएं भड़क गईं और औरंगाबाद सहित पुणे, बीड और जलगांव के दफ्तर में तोड़फोड़ हुई। इसके बाद लोकमत के दफ्तर पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि अब इस खबर को असहिष्णुता के दायरे में लाकर हल्ला क्यों नहीं मचाया जा रहा। क्या भावनाएं सिर्फ एक वर्ग की ही आहत हो सकती हैं। इस विषय पर टीवी पर बहसें क्यों नहीं आयोजित हो रही हैं। 

 

अखबार ने इस घटना के बाद माफी मांग ली है और कहा है कि इस चित्र से जिसकी भी भावनाएं आहत हुई हैं उसके लिए अखबार क्षमाप्रार्थी है। अखबार ने इस लेख को अपनी वेबसाइट से भी हटा लिया है। कई जगहों से अखबार की प्रतियां जलाने की भी शिकायत है। लोकमत महाराष्ट्र में सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला अखबार है। 

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