विरोधी पार्टियां तो भाजपा के इस कदम का विरोध कर ही रहे हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व विचारक केएन गोविन्दाचार्य ने भी सवाल उठाया है।
आम तौर पर चुनाव आयोग मतदान से ३८ घंटे पहले चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगा देता है। लेकिन दैनिक समाचार पत्रों में छपे विज्ञापन को देकर कहीं से यह नहीं लग रहा था कि चुनाव प्रचार बंद हुआ है।
छह और सात फरवरी को दिल्ली के दैनिक समाचार पत्र उठाते ही भाजपा के विज्ञापन पहले पेज पर ही नजर आ रहे थे।
मजेदार बात तो यह है कि विकास का दावा करने वाली केंद्र सरकार ने दिल्ली के अखबारों में चलो चले मोदी के साथ का नारा देकर खूब प्रचार करने की कोशिश की। जबकि चुनाव आयोग की नजर में प्रचार 5 फरवरी को शाम छह बजे समाप्त हो चुका था। लेकिन भाजपा ने इसका उल्लंघन करते हुए समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया जो कि समाचार पत्रों के ईपेपर यानी वेबसाइट पर भी देखे जा सकते थे। यह आचार संहित का पूरी तरह से उल्लंघन है।
आम आदमी पार्टी ने भाजपा के इस कदम का विरोध किया और चुनाव आयोग में इसकी शिकायत की। आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष कहते हैं कि यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। अगर मतदान के दिन तक विज्ञापन जारी किया जा रहा है तो फिर प्रचार कहां समाप्त हुआ।
वहीं दूसरी ओर केएन गोविंदाचार्य ने कई राष्ट्रीय अखबारों के ईपेपर में भाजपा की ओर से पूरे पृष्ठ के विज्ञापन देने को लेकर चुनाव आयोग का रूख किया और पार्टी के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर कार्रवाई की मांग की।
गोविंदाचार्य ने आरोप लगाया कि भाजपा ईपेपर के जरिए मतदाताओं से आग्रह कर रही है जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 126 के तहत प्रतिबंधित है।
उन्होंने अपनी दलील को मजबूती देते हुए चुनाव आयोग की ओर से 25 अक्तूबर, 2013 को जारी अधिसूचना के बी उपबंध का जिक्र किया जिसमें कहा गया है, ‘‘चुनाव आयोग के आदेश में शामिल दिशानिर्देश वेबसाइट को लेकर लागू होंगे तथा प्रमाणन से पहले की स्थिति में आएंगे।’’
गोविंदाचार्य ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनयम और आचार संहिता के दूसरे दिशा-निर्देशों का भाजपा की ओर से खुलकर उल्लंघन किया जा रहा है तथा दिल्ली के मतदाताओं को कई ईपेपरों में गैर कानूनी विज्ञापनों के जरिए प्रभावित किया जा रहा है।’’
पहले भाजपा में कई पदों पर रह चुके गोविंदाचार्य ने पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए दंडात्मक कार्रवाई की भी मांग की।