पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता को अडानी समूह के एक मामले में गुजरात के कच्छ जिला अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। ये 2017 के मानहानि मुकदमा से संबंधित मामला है। इस मामले में गुरुवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने बयान जारी कर इसकी निंदा की है।
एडिटर्स गिल्ड ने बयान जारी कर कहा, “परंजॉय ठाकुरता के खिलाफ निचली अदालत द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करना इस बात का एक और उदाहरण है कि व्यापारिक घराने किसी भी तरह के होने वाले आलोचनाओं को लेकर कितने असहिष्णु हो गए हैं। इससे स्वतंत्र और निडर पत्रकारों को टारगेट किया गया है।”
गिल्ड ने ठाकुरता के खिलाफ कार्रवाई को "प्रेस को बोलने की आजादी" पर कुठाराघात के रूप में वर्णित किया है और कहा है कि ये स्वीकार करना बहुत मुश्किल हो गया है कि न्यायपालिका भी अब इसका हिस्सा बन गई है।
दरअसल, 2017 में वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय ठाकुरता ने एक लेख लिखा था। जिसमें उन्होंने दावा किया गया था कि केंद्र ने अडानी पावर लिमिटेड को कच्चे माल के लिए शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र नियमों में संशोधन किया था, जिससे 500 करोड़ रुपए का लाभ हुआ।
पत्रकार ठाकुरता के वकील के मुताबिक अडानी समूह को लेकर जिस वेबसाइट पर लेख प्रकाशित किया था, उसमें सभी के खिलाफ शिकायतें वापस ले ली गई हैं, लेकिन ठाकुरता के खिलाफ मामला वापस नहीं लिया गया है।