पत्रिका के मुख्य कार्यकारी स्काॅट फ्लांडर्स के मुताबिक यह निर्णय पिछले महीने पत्रिका के एक प्रमुख संपादक कोरी जोंस की प्लेबाॅय के संस्थापक यूग हैफनर से हुई मुलाकात के बाद लिया गया है। आगामी मार्च से प्लेबॉय के नए प्रिंट संस्करण में महिलाओं की उत्तेजक तस्वीरें तो रहेंगी लेकिन ये पूरी तरह से नग्न नहीं होंगी। फ्लांडर्स ने द न्यूयाॅर्क टाइम्स को बताया कि अब इंटरनेट के युग में इस तरह की तस्वीरें आम बात हो गई हैं। उन्होंने कहा, अब आपको बस एक क्लिक करना होता है और सेक्स से जुड़ी हर तरह की तस्वीरें आपके सामने मुफ्त में उपलब्ध होती है। इसलिए अब नग्न तस्वीरें छापना पुरानी बात हो गई है।
महिलाओं को प्राकृतिक स्वरूप में दिखाने की वर्जना को तोड़ने वाली पत्रिका के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। गौरतलब है कि इंटरनेट पर पोर्न सामग्री के आसानी से उपलब्ध होने की वजह से प्लेबॉय की बिक्री घटती जा रही है। द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, सन 1975 में प्लेबॉय की करीब 56 लाख प्रतियां बिकती थी जो अब घटकर 8 लाख रह गई हैं।
सोशल मीडिया है इस फैसले की बड़ी वजह
प्लेबॉय के पूर्ण नग्न तस्वीरों को नहीं छापने के फैसले के पीछे सोशल मीडिया भी एक बड़ी वजह है। आजकल ज्यादातर इंटरनेट ट्रैफिक फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के जरिये आता है। प्लेबॉय के सीईओ फ्लांडर्स के अनुसार, सोशल मीडिया को ध्यान में रखते हुए प्लेबॉय ने अपनी कुछ सामग्री में बदलाव किया है। लेकिन पत्रिका को नया स्वरूप देने में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है अगर नग्नता नहीं रहेगी तो बचेगा क्या?
-एजेंसी इनपुट