यदि कोई अहिल्या की कहानी नहीं जानता तो फिर इस नई अहिल्या को जानना भी मुश्किल है। महर्षि ऋषि की पत्नी अहिल्या बहुत खूबसूरत थी। देवों के देव इंद्र का उस पर दिल आ गया। इंद्र देवलोक से आया और माया से महर्षि ऋषि का रूप धर लिया और अहिल्या के साथ प्रेम संबंध स्थापित कर चला गया। ऋषि को पता चला तो उन्होंने अहिल्या को श्राप देकर पत्थर बना दिया।
अब यह नया जमाना है तो अहिल्या के पास ताकत है कि वह इंद्र जैसे लंपट और कामपिपासुओं को पत्थर बना सके। बहुत छोटी अवधि में बनी इस फिल्म में सुजॉय ने यही दिखाया है। बांग्ला के प्रसिद्ध अभिनेता सौमित्र चटर्जी और राधिका आप्टे ने इसमें मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। सस्पेंस और थ्रिलर को इतने कम वक्त में इस तरह से प्रस्तुत किया जा सकता है यह सुजॉय की फिल्म देख कर ही समझा जा सकता है।
कम समय में सुजॉय ने एक छोटी सी कहानी बुनी है। नए जमाने की स्त्री कैसे अब मोहजाल में फंसती नहीं फंसा सकती है। सुजॉय ने पात्रों के नाम पौराणिक कहानी से ही उठाए हैं। यह एक स्त्री के बदला लेने की कहानी के तौर पर भी प्रचारित की जा रही है। लेकिन यह बदला लेने से ज्यादा एक स्त्री के स्वतंत्र व्यक्तित्व की कहानी है। छोटी सी अवधि में सौमित्र और राधिका ने उम्दा अभिनय किया है।