दिनेश दवे इंडिया फेसबुक पर लिखते हैं-- अमिताभ ने एक बार कहा था ‘राजनीति में जाना, वह भी कांग्रेस पार्टी में, मेरी बड़ी गलती थी ’ लगता है अमिताभ वही गलती दोहरा रहे हैं। आज वही अमिताभ पीएम मोदी के साथ मिलकर मोदी सरकार के दो साल के कामकाज का सार्वजनिक गुणगान करेंगे। एक तरफ कुछ लोग कह रहे हैं कि पनामा पेपर लीक में मुद्रा घोटालों में जिसका नाम आया हो वह कैसे देश का ब्रांड एंबेसेडर बन सकता। दूसरी ओर यह भी चर्चा है कि पनामा लीक में नाम आने पर खुद को बचाने के लिए अमिताभ मोदी का सहारा ढूंढ रहे हैं।
सिद्धाब्रत दासः यह सरासर किसी भी व्यक्ति की निजी पसंद है कि वह क्या करना चाहता है। कांग्रेस उसे आदेश देने वाली या हुक्म देने वाली कौन होती है? कांग्रेस राजनीतिक तौर पर दिवालिया पार्टी है और वह एक सिर कटे चूजे की तरह बिहेव कर रही है।
राजेश नायक- जाहिर तौर पर पनामा पेपर लीक के धब्बे लिए किसी भी व्यक्ति के लिए मोदी सरकार का मेगा शो का अहम हिस्सा बनना खराब बात है। पनामा पेपर लीक अंतरराष्ट्रीय स्तर का घोटाला है जिसकी जांच बहुत ठोस तरीके से हुई है न किसी स्थानीय बेहुदा तरीके से।
विश्वनाथ कोल्हे- अमिताभ बच्चन राजीव गांधी के करीबी मित्र थे। बल्कि वह उनके पारिवारिक मित्र थे। अमिताभ कांग्रेस पार्टी की ओर से सांसद चुने गए। बोफोर्स से पहले तक सब ठीक था लेकिन बोफोर्स उजागर होते ही और उसमें अमिताभ बच्चन के भाई का नाम आते ही गांधी और बच्चन परिवार दुश्मन हो गया।