नौ जुलाई को बांग्लादेश के पहले इंटरनेट अखबार की वेबसाइट बीडीन्यूज24डॉटकॉम ने एक खबर लगाई कि बांग्लादेश की अदालत ने भारतीय फिल्मी गानों को मोबाइल रिंगटोन बनाने पर पाबंदी लगा दी है। इस आदेश में कहा गया कि मोबाइल फोन ऑपरेटर्स वेल्यू एडेड सर्विसेस (वीएएस) के लिए हिंदी फिल्मों के गानों का इस्तेमाल न करें। यह फैसला संगीत उद्योग संगठन के अरिफुर रहमान और महासचिव एसके शाहिद अली की याचिका पर दिया गया।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अदालत ने देश (बांग्लादेश) के सांस्कृतिक-सूचना सचिवों, गृह और कानून मंत्रालय से भी इस बाबद जवाब मांगा है। इनमें बांग्लादेश की टेलीकॉम रेग्युलेटरी कमीशन से भी अदालत ने जरूरी जवाब मांगे हैं। सभी लोगों को चार हफ्ते में इसका जवाब देना है।
अरिफुर रहमान और एसके शाहिद अली के वकील मेहदी हसन चौधरी ने कहा कि बांग्लादेश की आयात नीति के तहत यह प्रतिबंध है। आयात नीति के तहत बांग्लादेश में भारतीय या उप महाद्वीप की फिल्मों पर प्रतिबंध है इसलिए इनके गानों को भी स्वागत टोन या फोन की रिंगटोन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इससे पहले भी सन 2013 में बांग्लादेश में वहां की स्थानीय फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने पर हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध लगा था। लेकिन बाद में इसे हटा भी लिया गया था।
इस खबर को आज किसी ने ट्वीट किया और देखते ही देखते ट्विटर पर #whyBanBollywood ट्रेंड करने लगा। इस पर तरह-तरह के ट्वीट आने लगे और बांग्लादेश प्रतिबंध क्यों, जैसे नारे ट्वीटर पर गूंजने लगे। हो सकता है इस ट्रेंड से दो-तीन दिन में माजरा जरा साफ हो जाए।