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सोशल मीडिया पर राहुल को दिग्विजय का ज्ञान

लम्बी छुट्टी से लौटकर सियासी सक्रियता दिखा रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को सलाह दी कि वह सोशल मीडिया पर आकर इस लोकप्रिय माध्यम का फायदा उठाए और अपने बारे में भाजपा के कथित दुष्प्रचार का जवाब दें।
सोशल मीडिया पर राहुल को दिग्विजय का ज्ञान

दिग्विजय ने इंदौर प्रेस क्लब में कहा, भाजपा पेशेवर लोगों की मदद से सोशल मीडिया पर राहुल और अपने अन्य सियासी विरोधियों के खिलाफ लम्बे वक्त से दुष्प्रचार कर रही है। इसलिए मैं राहुल से हमेशा से कहता आया हूं कि उन्हें सोशल मीडिया पर सक्रिय होना चाहिए और अपने खिलाफ हो रहे दुष्प्रचार का जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल का फेसबुक और ट्विटर पर अधिकृत अकाउंट नहीं है। उन्हें सोशल मीडिया की युवा वर्ग में लोकप्रियता के मद्देनजर इन सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपने अधिकृत अकाउंट बनाने चाहिए।

दिग्विजय ने एक सवाल पर इन खबरों को सिरे से खारिज किया कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता राहुल को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की संभावनाओं के मद्देनजर उनकी नेतृत्व क्षमता को लेकर फिलहाल आश्वस्त नहीं हैं। उन्होंने कहा, कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी हैं। अगर वह और कांग्रेस की वर्किंग कमेटी राहुल को पार्टी अध्यक्ष बनाने का निर्णय लेती हैं, तो पार्टी के सभी नेता इसे स्वीकार करेंगे।

राज्यसभा सांसद ने कहा कि राहुल के छुट्टी पर रहने के दौरान भाजपा नेताओं द्वारा बार-बार यह पूछकर उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया जाता था कि वह कहां गायब हो गए हैं, जबकि राहुल को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) की सुरक्षा हासिल होने के चलते देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को भलीभांति मालूम था कि वह छुट्टियों के दौरान कहां थे। दिग्विजय ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, अब जब राहुल छुट्टियों से लौटकर किसानों के बीच दौरे कर रहे हैं, तो इससे भी उन्हें (भाजपा नेताओं को) परेशानी हो रही है।

उन्होंने बताया कि विदर्भ के बाद राहुल तेलंगाना और मध्यप्रदेश में भी उन स्थानों का दौरा करेंगे, जहां किसानों ने आत्महत्या की है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कृषि मंडियों के हालिया दौरों के बारे में पूछे जाने पर दिग्विजय ने कटाक्ष किया कि शिवराज इस मामले में राहुल का अनुसरण कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के दौरों के बावजूद सूबे के किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है और कृषि मंडियों में उनकी पूरी उपज नहीं खरीदी जा रही है।

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