Advertisement

कूड़ेदान में डालो कूड़ा, पाओ मुफ्त वाईफाई कोड

क्या हो यदि सार्वजनिक स्थान पर कचरे को निर्धारित जगह यानी डस्टबिन में डाला जाने लगे। कितना अहमकाना सवाल है। जाहिर है सभी जगह साफ-सफाई रहने लगेगी। लेकिन ऐसा कम ही लोग करते हैं। लेकिन यदि सार्वजनिक स्थानों पर डस्टबिन में कचरा फेंकने के एवज में मुफ्त वाईफाई की सुविधा मिलने लगे तो सोच कर देखिए माहौल कैसा हो जाएगा।
कूड़ेदान में डालो कूड़ा, पाओ मुफ्त वाईफाई कोड

दैनिक जीवन में इंटरनेट की जरूरत के महत्व को समझाते हुए कॉमर्स के दो स्नातकों ने लोगों को स्वच्छता के एवज यानी निर्धारित जगह में कचरा डालने के एवज में मुफ्त वाईफाई देने का फैसला किया है और इस अनूठी पहल का नाम है वाईफाई टैश बिन।

 

इस अनोखी योजना के दो संस्थापकों में से एक प्रतीक अग्रवाल ने बताया कि जैसे ही कूड़ेदान कचरा डाला जाएगा, कूड़ेदान के ऊपर लगी प्लेट पर एक कोड चमकेगा, जिसका उपयोग मुफ्त वाईफाई के लिए किया जा सकता है। इस तरह जब किसी सार्वजनिक समारोह, त्योहार या किसी रैली-बैठक में बहुत से लोग इकट्ठा होंगे तो मुफ्त वाईफाई उपयोग के एवज में लोग चाय के कप, नाश्ते की प्लेटें, आइसक्रीम कप, कोल्डड्रिंक की बोतलें निर्धारित जगह पर ही डालेंगे।

 

प्रतीक अग्रवाल मुंबई निवासी हैं। उनके साथ उनके सहयोगी राज देसाई भी इस योजना में साथ दे रहे हैं। दोनों का कहना है कि जब वे डेनमार्क, फिनलैंड, सिंगापुर आदि देशों की यात्रा पर गए तो उन्होंने महसूस किया कि आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए लोगों के व्यवहार में बदलाव जरूरी है।

 

प्रतीक ने  बताया, हमने फिनलैंड, डेनमार्क, सिंगापुर जैसे देशों से बहुत मदद ली और इसके लिए एक व्यवस्था बनाने का फैसला किया। यह विचार तब सूझा जब एक बार सप्ताहंत प्रसिद्ध संगीत समारोह एनएच 7 में जाते हुए उन्हें एक विचार सूझा और इसकी परिणति वाईफाई टैश बिन के रूप में हुई।

 

प्रतीक ने कहा, जब हम वहां पहुंचे तो हजारों की संख्या में भीड़ थी। हमे हमारे मित्रों की तलाश करने में छह घंटे लग गए। वहां वाईफाई नेटवर्क नहीं था न हम फोन कॉल के जरिये उन लोगों तक पहुंच पा रहे थे। बस तभी हमें आयडिया आया और हमने सोचा क्यों न हॉट स्पॉट्स का उपयोग कर लोगों को वाईफाई सुविधा मुहैया कराई जाए।

 

स्वच्छता की इस अनूठी पहल में प्रतीक और उनके भागीदार राज देसाई के मित्रों ने भी मदद की। इस स्वपोषित पहल को एमटीएस से मदद मिली और बेंगलूरू, कोलकाता तथा दिल्ली में सप्ताहंत के विभिन्न महोत्सवों में यह सफल रहा। हालांकि अभी इसमें कुछ सुधार कार्यों के लिए इसे बंद किया गया है। संस्थापकों ने बताया कि गेल (जीएआईएल) से भी उनकी बातचीत जारी है।

 

राज देसाई ने कहा हम लोगों के रवैये में बदलाव चाहते हैं। दोनों ने कहा कि वे वाईफाई बिन का एक नेटवर्क स्थापित करना चाहते हैं ताकि लोगों के रवैये में बदलाव लाने में मदद मिले। इस अभिनव प्रयोग की झलक हाल ही में एरिक्सन और सीएनएन-आईबीएन की पहल नेटवर्क्ड इंडिया में नजर आई।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad