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जिसके पिता एसएसपी, भाई थानेदार और पत्नी जज, वो कैसे बन गया भिखारी

मध्य प्रदेश के ग्वालियर से बीते दिनों ऐसी खबरें आई जिसने हर किसी को चौंका दिया। दरअसल एक भिखारी...
जिसके पिता एसएसपी, भाई थानेदार और पत्नी जज, वो कैसे बन गया भिखारी

मध्य प्रदेश के ग्वालियर से बीते दिनों ऐसी खबरें आई जिसने हर किसी को चौंका दिया। दरअसल एक भिखारी अधिकारी निकला। दरअसल, अपनी गाड़ी से जा रहे डीएसपी ने ठंड से ठिठुर रहे एक भिखारी को देखा तो गाड़ी रोक उसके पास पहुंच गए, तो पाया कि सामने वाला भिखारी उनके ही बैच का ऑफिसर है, जो मानसिक बिमारी की वजह से 10 साल से अधिक समय से भिखारी की जिंदगी जी रहे हैं।

बतौर डीएसपी मनीष के भाई भी थानेदार हैं और पिता और चाचा एसएसपी के पद से रिटायर हुए हैं। उनकी एक बहन भी किसी दूतावास में अच्छे पद पर हैं। मनीष की पत्नी, जिसका उनसे तलाक हो गया है, वो भी न्यायिक विभाग में पदस्थ हैं।

जानकारी के मुताबिक ग्वालियर उपचुनाव की मतगणना के बाद डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिह भदौरिया झांसी रोड से निकल रहे थे। तभी सड़क किनारे एक अधेड़ उम्र के भिखारी को ठंड से ठिठुरता हुए देखा। गाड़ी रोककर दोनों अफसर भिखारी के पास गए और मदद की कोशिश की। रत्नेश ने अपने जूते और डीएसपी विजय सिंह भदौरिया ने अपनी जैकेट उसे दे दिए। इसके बाद जब दोनों ने उस भिखारी से बातचीत शुरू की, तो दोनों हतप्रभ रह गए। और वो भिखारी उस डीएसपी अधिकारी का नाम लेकर बुलाने लगा। 

दोनों अधिकारी ने मनीष से काफी देर तक पुराने दिनों की बात करने की कोशिश की और अपने साथ ले जाने की जिद भी की। लेकिन मनीष साथ जाने को राजी नहीं हुए। जिसके बाद दोनों अधिकारियों ने मनीष को एक समाजसेवी संस्था में भेजवा दिया है, वहां मनीष की देखभाल और इलाज शुरू हो गई है।

10 सालों से लावारिस हालात में घूम रहे मनीष मिश्रा कभी पुलिस अफसर थे। इतना ही नहीं वो अचूक निशानेबाज भी थे। मनीष 1999 में पुलिस की नौकरी जॉइन की थी। जिसके बाद एमपी के विभिन्न थानों में थानेदार के रूप में पदस्थ रहे। उन्होंने 2005 तक पुलिस की नौकरी की। लेकिन, धीरे-धीरे उनकी मानसिक स्थिति खराब होती चली गई जिससे घरवाले उनसे परेशान होने लगे। परिवार वालों ने कई जगहों पर उनका इलाज करवाया, लेकिन एक दिन वो परिवारवालों की नजरों से बचकर भाग गए। जिसके बाद पत्नी ने तलाक ले लिया।

 

 

 

 

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